लगा था यादें धुंधली हो गई है,
आज फिर पुरानी हवा चली और हम बह चले।-
चीख चीख कर,काप उठी वो उन लाल आंखो मैं आंसू थे,
इज्जत से क्यूं खेले उसकी क्या तुम इतने बेकाबू थे?
उसकी इज्जत को फांद डाला, ना जिस्म का लिहाज किया!
उसकी कोमल चमड़ी को, तुमने तार तार किया
आत्मा भी नहीं छोड़ी तुमने उसकी, उसको वहीं जीते जी मार दिया,
कुसूर उसका क्या था, ये अब तक हम ना जान सके,खिलखिलाते उस चेहरे पर अब कैसे फिर से वो आत्मसम्मान भरे!
हर रोज ये खबरें आती जाती है, लेकिन उस लड़की का क्या जिसकी ज़िन्दगी तबाह कर जाती है,
क्या बोलूं मै? क्या तोलू मै?
इज्जत की क्या कीमत होती हो?
क्या उन्हें ये नहीं सिखाया की लड़की तुम्हारी इज्जत होती है?
फिर क्या?
न्याय हरदम मौन रहा, उसपर मानो बस उपकार किया!
जान लूटा गई अपनी, ना ढंग से उसे यहां सम्मान मिला।
मौन विधुर से क्या कहना अब, स्वयं रणचंडी श्रृंगार करो,
अब समय की वाणी समझो, पापियों का संघार करो,
औरत ने अपने आंचल में
अपनी इज्जत पाली थी,
और उसी इज्जत ने आज औरत की इज्जत खाली की,
नीच दरिद्रता की हद को उसने सरेआम है पार किया
लूटी इज्जत लड़की की और हर भाई का नाम बेकार किया,
अरे दानवों शर्म करो!
ना सब को तुम शर्मसार करो!
नींव रख सुरक्षा की और हर नारी सुरक्षा का हथियार बनो,
करोगे ऐसी नीच हरकते,
तो मृत्यु से अलग कोई समाधान नहीं,
तुम्हारी नीच पशुता का, मानवता में स्थान नहीं।।
मानवता में स्थान नहीं!
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कभी सोचा है?
एक अंदर शोर से भरा सक्श,
आखिर बाहर से इतना शांत क्यों हो जाता है?-
खुद को उस मंज़र से कुछ इस कदर बचाया करती हूं मै,
पन्ना नहीं पलटती अब बल्कि उसी काग़ज़ पर दिल का ज़हर उतारा करती हूं मै।।-
हर नज़र में मुमकिन नहीं बेदाग रहना,
ख़ैर खुदकी नज़र में बेदाग तो हो ना तुम?-
दर्द जब आंखो से निकलता है
तो लोग उसे कहते है "कायर",
और वही जब लफ्जो में निकले तो
लोग उसे कहते है "शायर"।-
आदमी और वक्त दोनों एक जैसे होते है,
दोनों में से कोई भी एक जगह ठहरा नहीं रह सकता।।-
यूं बस पलके झुकाने से नींद नहीं आती यारो,
उनकी रात की धड़कन तेज रहती है,
सोते नहीं वो लोग जिनके सिर जिम्मेदारी रहती है।।-
दिखावा इसमें ना ज़रा है
दो लोगो के बीच अहसास से भरा है,
पल में समझ आए दिल का हाल
रिश्ता हमारा दोस्ती का इतना खरा है।।-