Purushottam Shahi   (Imperialshahi)
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A shire, Writer and poet
Joined 31 August 2019


A shire, Writer and poet
Joined 31 August 2019
12 AUG 2022 AT 8:16

बाँध के एक धागा जो दिखाए जीवन भर का प्यार,
जिसके ना होने से घर लगे सुना सुना बेकार,
बहन है वो मेरी, साक्षात देवी का अवतार.....!

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10 AUG 2022 AT 17:38

ए सियासत है जनाब यहाँ सिर्फ बेवफ़ा और हमदर्द होते हैं, कोई हमसफ़र नहीं!

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9 AUG 2022 AT 11:38

गमले में लगे पौधे का कोई बड़ा मूल नहीं होता,
ज़ुल्म जब यतीम पे हो तो सौर गुल नहीं होता!

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8 AUG 2022 AT 22:18

जब ताकतवर होकर अधर्म का साथ देते हैं,
कर्ण हो, भीष्म हो या द्रोण हो सब मारे जाते हैं!

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4 AUG 2022 AT 18:12

तुम्हें अब हम दिन भर सोचने लगे हैं,
लगता हम तुमसे मोहब्बत करने लगे हैं!

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27 JUL 2022 AT 10:59

तुम याद आती हो तो लिख लेता हूँ,
ताकी अगर भूलूँ तो फिर से पढ़ सकूँ!

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24 JUL 2022 AT 21:18

बर्बादी का युग आया है और बर्बादी का आया है महीना,
अब बरस नहीं रहे हैं सावन भादो और थम नहीं रहे हैं नैना....!
#किसान_की_तकलीफ

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22 JUL 2022 AT 12:33

तू झुकी झुकी नजरों को उठा के देखे तो क़यामत हो जाए,
तू जो हँस के देख ले जिधर उधर इनायत हो जाए!

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20 JUL 2022 AT 10:17

जिंदगी जब जब बेज़ार होती है,
मुझे काँटों का हार देती है!

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16 JUL 2022 AT 14:00

सावन की खाश बात ए है,
भक्त हो या आशिक यहाँ सब अपने धुन में लबा लब डूबे रहते हैं!

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