बहुत बार संसार छोडना चाहा मैने
लेकिन मेरा कोई विकल्प नही मिला मेरे परिवार के लिए l-
माय
माय सांग तुह्यासारखं दुसरं काय
आंगचं रक्त पाजून तू लेकरू मोठ केलं हाय
माय सांग तुह्यासारखं दुसरं काय .............. ll १ ll
मुताच्या ओल्या पांघरूणात मह्या
तू रातभर झोपत जाय.
सांग त्यावर कोणी बसल तरी काय
माय सांग तुह्यासारखं दुसरं काय .............. ll २ ll
माय नऊ मास हा गोळा तू पोटी मिरवला
दोन दिस दुसऱ्याले सांभाळणं इथ जड हाय
माय सांग तुह्यासारखं दुसरं काय ............. ll ३ ll
माय मले जगी आणताना तू यमादरी उभी होती
कोणी जगी एवढं कोणासाठी करल काय
माय सांग तुह्यासारखं दुसरं काय ............. ll ४ ll
स्वार्थाच्या झळा प्रत्येकाच्या प्रेमास इथ
स्वार्थाचच इथ हरेक नात हाय
देव तरी तूही बरोबरी करल काय
माय सांग तुह्यासारखं दुसरं काय ............. ll ५ ll-
इश्क का शौक बहुत मेहंगा है जनाब
यह शौक पालने वाले गरीब उजड जाते है जिंदगी से l-
कब तक चले ..........
कुछ तो पहचान हो अपनी
दुसरो की छाव मे कब तक चले
तैरना तो तुझे खुद होगा
दुसरो की नाव मे कब तक चले ............
कुछ तो वजूद हो अपना
दुसरो के प्रभाव में कब तक चले
खुद के साथ जी ले कभी
दुसरो के अभाव में कब तक चले ..........
आत्मा की आवाज सून कभी
दुसरो के स्वभाव से कब तक चले
कुछ तो मंजिल हो अपनी
दुसरो के खिंचाव से कब तक चले ..........-
ll ए इंसान कफन के कुछ सवाल है तेरे लिए ll
जिंदगी भर तन कपडे से ढका नही
मरणे पर क्या कपडा जरुरी है तन ढकने के लिए
ए इंसान कफन के कुछ सवाल है तेरे लिए ...........
दुसरो का हक मारता रहा सारी उमर
तरस गया था जेब अपनी भरने के लिए
क्यों तू भूल गया ? कफन को जेब सीने के लिए
ए इंसान कफन के कुछ सवाल है तेरे लिए ...........
दुसरो का जिस्म नोचती रही तेरी आँखें
तरस गया था तू ढका बदन नंगा देखने के लिए
क्या कफन पुरा पडेगा चरित्र तेरा ढकने के लिए
ए इंसान कफन के कुछ सवाल है तेरे लिए ...........-
धन के पीछे भागणे वाले हो गए कंगाल
ध्यान के पीछे भागणे वाले बने मालामाल l-
इंसान का केवल दुसरे से बेहतर बनने के प्रयास
आदमी को श्रेष्ठ नहीं बनने देता l-