मुझे जब से अपना बनाया है उसने ।
मेरी आँखों में सपना सजाया है उसने ।।-
उसके दर पे सभी ने,
अपने ख़्वाबों की लगाई अर्जी है।
कभी वक्त से पूछा है किसी ने,
उसकी क्या मर्जी है।।-
मेरी उम्मीद की लौ जलती रहे ,
यह अधूरा इंतजार भी काफी है ।
तुम्हें भूल जा ऊं मैं कैसे भला,
मेरे सिने में धड़कन बाकी है ।।-
बचपन जवानी और बुढ़ापा ,
बस तीन अध्याय की ज़िन्दगानी है ।
पृष्ठ पलटकर देखो तो जरा ,
हर दिन नई कहानी है ।।-
हाथों में तुम्हारी याद लिए ,
तलाश तुम्हे मैं करती हूँ ।
कहीं फरेबी तो नहीं ,
ये लकिरें हमारी।
सितारों की गलियों से ,
पूछती हूँ ।।-
कौन समझ पाया है यहां ,
खिलने मुरझाने की रीत को ।
सूरज अब तक ना जान सका ,
सूरजमुखी तेरी प्रित को ।।
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कुछ बातें ऐसी होती हैं ,
जो अल्फाजों में नही बांधी जाती हैं ।
खामोशी की हर सदा खुद ही ,
रूह तक पहुँच ही जाती है ।।-
खुद की तलाश जरूरी है ,
जिन्दगी ने सिखाया हमें ।
सफर पर जब निकलें हम,
मंजिल से इसी ने मिलाया हमें-
जब तक समर्पण नहीं होता ,
स्वप्न कहाँ यथार्थ में बदलते हैं ।
स्वर्ण तपने के बाद ही ,
सुंदर काया सांचे में लेते हैं ।।
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