फ़िज़ा में किस बात की, मायूसी घुली है ,
अभी तो ज़िन्दगी, मुस्कुरा के मिली है !
इम्तिहानों से हार गये तो आगे बढ़ोगे कैसे ?
हार के बाधाओं से, बनो ना तुम कायरों जैसे !
तूफ़ानों का आगे बढ़ कर, करो सामना,
हारे- थके जो मिलें राह में, उन्हें थामना !-
यक़ीन नहीं होता,
कभी तुम थे साथ मेरे !
ख़ुशनुमा दिन थे,
खुशियाँ रहती थीं घेरे !
वो क्या दिन थे, वो क्या रातें,
ख़त्म होती ना थीं बातें !
बरसों से अब, चुप सी लगी है,
आँखें अक्सर, रातों को जगी हैं !
याद आते हैं पल बीते,
बना गये आज को, जो रीते !
हाथ ख़ाली हैं, सूने दिन,
बड़ा मुश्किल जीवन, तुम बिन !-
बहुत
मुश्किल है आँकना ,
असली - नक़ली का भेद,
गुमराह कर देती है ख़ूबसूरती !-
बड़ी नादान हैं ज़ुल्फ़ें, ये मानती ही नहीं,
इक झलक पाने को बैठे हैं, जानती ही नहीं !-
तमन्नाओं का चमन मेरा भी खिल जाये,
मेरी दुआओं को भी, जब चाँद मिल जाये !
टाँक लूँ ढेर सितारे, मैं अपने आँचल में,
छुपा लूँ ख्वाबों को अपने, रूई से बादल में !
उड़ा लूँ मन की पतंगों को, नीले अम्बर में ,
थामे रखूँ मगर मैं डोर, उड़ें चाहे वो दिक् दिगम्बर में !-
भरोसा कीजिये ख़ुद पर, बहुत ज़रूरी है,
लड़खड़ा जायें मुश्किल में, मजबूरी है !
सम्हल जाते हैं, गिरकर, भरोसे के ही बल पर !
पाँव हों लाख ज़ख़्मी, भरोसा ख़ुद आता है चल कर !-
ध्यान रहे आँखों का काजल, बह ना जाये,
पलकों पर जो टिके ख़्वाब, वो ढह ना जायें !
इन आँखों की चमक, ना फीकी पड़ने पाये ,
तूफ़ानों की धूल , ना इनमें गड़ने पाये !-
स्नेह दे जो शिष्य को, अपनी सन्तान सा,
सफलता उसकी, समझे अपने उत्थान सा !
शिष्य के मन में, मानवता का भाव जगाये,
मन से उसके कायरता का, भूत भगाये !
सच की राह पे उसको जो चलना सिखलाये,
अंधकार में, ज्योति पुंज बन राह दिखलाये !
सच्चा गुरु वही है….-
अपने अंतर में तूने, इक अलख जगाई होती,
कुछ तो उम्मीद, अपने दिल से लगाई होती !
तेरे जुनून में जो, बदनीयती नहीं होती,
इज़्ज़त तेरी ओ बन्दे ! यों इस तरह नहीं खोती !
पाकर भी सब कुछ, इस तरह ना खोया होता,
झूठ ही बंद कर आँखें, जो ना सोया होता !
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