उसकी हर धड़कनों का हिसाब है पास मेरे
वो मुझमें कहीं साँसें लेता है
उसे नहीं ये एहसास मगर
मेरे ज़िस्म में जान बन वो रहता है-
सबसे बचाकर नज़रें कल
चुपके से तन्हा ही कोई रोया है
रात भी थी बड़ी लम्बी बीतीं
उस रात कहां कोई सोया है
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मैने देखा था उन नज़रों मे समंदर
खामोश लब के जज़्ब हज़ार थे
कहते कहते जो रूक गये थे वो
टूटे तो थे बस उस रात ना बिखरे थे-
जब तक जिन्दा है जी भर के देख लिजिये
यहां लाशों को देर तक रखने
और जलती चिताएं पलट कर देखने का रिवाज़ नहीं है-
अगर सीखा होता मेरी आखों को पढ़ पाना
तो तुम खिले चेहरे में नम आँखें भी पढ़ लेते-
मुझे सबसे ज्यादा समझने का दावा करने वाले भी
मेरे चेहरे की मुस्कान को खुश होना समझते है
वाक़ई वो मुझे कितना समझते है ......
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अपनी इज़्ज़त का क्या खूब ख्याल था तुम्हें
बाज़ारों में बिकते तो हमेशा हम ही रहें हैं-
कुछ हादसे आसूँ और आवाज़ दोनो ले जाते है
फिर हम तो होते है पर पहले वाला व्यक्तित्व नहीं होता
और लोग बदलाव ढूंढ़ते रह जाते है
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बहुत खामोशी से चले जाना है जीवन से तुम्हारे मुझे
क्योकिं तुम्हारे सफलता का हिस्सा नहीं तो ना सही,
पर मैं तुम्हारी असफलता का किस्सा नही बनना चाहती-
मेरी खुशी में खुश कभी
तुम भी हो जाया करो
मेरे गम में दो आसूँ कभी
तुम भी तो बहाया करो
मेरा प्रेम होगा पूरा का पूरा
तुम पर ही समर्पित
कभी एक चुटकी भर मोहब्बत
तुम भी तो जताया करो।।
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