23 NOV 2017 AT 16:42

हारना फितरत तो नहीं,
फिर क्यूँ आँखों में नमी
-सी है,जिन्दगी तेरी किताब
में हैं क्यूँ अर्धविराम,
पूर्णविराम की अभिलाषाएं,
अब दिल में जगी हैं,,,purnima

- Jaahnashien