बुझे-बुझे दीपों की लौ,ठिठुर के ठहरी-ठहरी है,रात के पहरे पर,चाँदनीठहरी है,सितारों में जैसे,अनबुझे सवालों की पहेलीहै,मुद्दतों के बाद...खुद मेंखुद की तलाश,अनंत तकरोशनी गहरी-गहरी है,,, purnima - Jaahnashien
बुझे-बुझे दीपों की लौ,ठिठुर के ठहरी-ठहरी है,रात के पहरे पर,चाँदनीठहरी है,सितारों में जैसे,अनबुझे सवालों की पहेलीहै,मुद्दतों के बाद...खुद मेंखुद की तलाश,अनंत तकरोशनी गहरी-गहरी है,,, purnima
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