आसमां में ना जाने
कितने सितारे पलते हैं,
कई टूटते हैं,कई
बिखरतें हैं,
मन्द चन्द,टूटे
लड़खड़ाते हुए,
हमारे भी कुछ ख्वाब
पिघलते हैं,
दिल डूबता है,चाँद
सिसकता है,
एक हारी अमावस में,
नयनों से बादल
बरसते हैं,
वो खिलखिलाती
गुलाब की कलियाँ,
काँटों के बीच सपने
पलते हैं,
हमने छोड़ दी
तमन्नाएँ सारी,
बरसों से बिन पंखों
के,जंजीरों
में ख्वाब पलते हैं,,, copyright by Purnima Chhabra Jain@2015
- Jaahnashien