How could you live and have no story to tell?
-Fyodor Dostoyevsky-
Faith•Hope•Love
Socha tha har kagaz par teri tareef karunga;
Yaha poori kitab bhar gayi lekin
teri aankhon par kuch sher
abhi aur likhunga...-
मुंतजिर हूं मैं खुद, खुद ही के साथ का;
फिर ये दामन-ए-इश्क़ की तलब क्या चीज़ हैं।-
When we see truth in a person,
we call it authenticity...-
Love shouldn't be the reason for Attachment.
It should be the process of Liberation.-
तुमने पूछा था एक रोज की,
मेर लिए भी कुछ लिखा है?
तुम्हारे लिए अगर लिखना हो तो क्या लिखूं...— % &अगर मैं हंसी लिखूं तो खुद को लिखूं
'गर उसकी खुशी लिखूं तो तुम्हें लिखूं
अगर रंजिश लिखूं तो खुद को लिखूं
'गर रस्म-ओ-राह लिखूं तो तुम्हें लिखूं
अगर मैं ग़म-ए-दहर लिखूं तो खुद को लिखूं
'गर कू-ए-यार लिखूं तो तुम्हें लिखूं
अगर मैज़ान निकालू तो
मुझे कलम और तुम्हें स्याही लिखूं।— % &-
POV: वो हर जगह है
कभी बेमुद्दत आसमां में झूमते पतंग में
तो कभी उलझन से झूंझती उसी पतंग के मांझे में
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