Puranii Syahii   (पुरानी स्याही)
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-inside me is a world filled with meaningful silences-
Joined 15 March 2020


-inside me is a world filled with meaningful silences-
Joined 15 March 2020
28 SEP 2020 AT 1:21

किसी की चाय का ज़िक्र
तो कहीं रातों का चर्चा हो गया
अजीब बेवकूफ था मै जो बेवजह खर्चा हो गया

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28 SEP 2020 AT 0:11

किसी ने कहा कि
आज कोइ गया तो कल कोई और आएगा
और इश्क़ ही तो था कल फिर हो जाएगा

मैंने जवाब देना जरूरी ना समझा
उठ के जाने को हुआ ही था कि वो बोले
कुछ तो कहिये स्याही

मैं मुड़ा और कहा कि मालिक
दिल था कोई दुकान न थी
कि किसी को भी सौंप दी जाए
और इश्क़ था कोई सामान न था
कि बिक जाये तो नया लिया जाए
बाकी आप हमे समझ नही पाएंगे
घर जाते हुए बस सर खुजाएँगे
और रातें बेचैनी में गुजार कर
कल फिर से यही नजर आएंगे...

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27 SEP 2020 AT 21:47

मेरा बचा है कौन जो रुखसत मुझे करे
इक ग़म पुराना कुछ आंसू ही आये हैं

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25 SEP 2020 AT 15:12

जो खुश गुमां हो यूँ तुम मेरे हशर पे
तूफान तुमसे भी पूछेंगे हवा कैसी है

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23 SEP 2020 AT 15:06

रात मुझमे, मैं रातों में अब बेदार रहता हूं
शब ए फुरक़त कि यादों से जब दो चार रहता हूं

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19 SEP 2020 AT 11:08

दिल ए फरियाद लहू से अदा ही होगी अब
इश्क़ की क़िस्त की बड़ी महँगी ये भरपाई है

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17 SEP 2020 AT 2:03

लहू टपकता है दरारों से अब भी
पर निकलती नही जो जान बाकी है
आखरी मंजर तक तोड़ कर देखूंगा खुद को
क्या अब भी कोई पहचान बाकी है

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16 SEP 2020 AT 23:13

ज़हर पानी सा कर बस पिये जा रहा हूं
ये किसकी ज़ीस्त है जो जिये जा रहा हूं

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14 SEP 2020 AT 11:32

दर्द के हिसाब से यहां खुदा याद किये जाते हैं
और लोग बस अर्जियां पढ़कर चले जाते हैं
दुआ कुबूल हो भी तो कैसे हो स्याही यहां
परेशानी बढ़ती नही कि खुदा बदल दिए जाते हैं

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12 SEP 2020 AT 13:30

के किसी को मरने से बचाती हैं
तो किसी पे केहर कर जाती हैं
कातिल नजरें हैं हज़ूर बस इसी काम आती हैं

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