Punit Rajput   (pk_pringel)
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Joined 3 March 2019


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Joined 3 March 2019
19 MAY 2022 AT 7:53

तुम मुझको कितना छुपाओगे खुदके
अंदर से,
ये इश्क ए सैलाब है उमड़ता रहता है
अंदर से।
तुम उठ रही इन लहरों को रोको कैसे
भला,
हम तो वो है के झलक जाएंगे तेरे
अंदर से।।

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17 NOV 2021 AT 10:42

तुम्हें चाह कर हमने कोई गलती तो न की शायर
तुम्हें करीब लाकर भी फक्त मुकम्मल जो पा न सके

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16 OCT 2021 AT 19:51

न जाने कितने ठिकाने हैं तेरे

एक दिल में तू ठहरा ही कब है,
कितनो के ही साथ फसाने हैं तेरे

साया दरबदर घूमता हैं अब तो वीरान
सुना है,लाखों जुल्फों के दीवाने हैं तेरे

छू कर निकलना मुश्किल है तुझको
कमबख्त बहुत महंगे हरजाने हैं तेरे

हर कोई ख़्वाब सजाने निकल जाता है
अब भी कसमें वादें वही पुराने हैं तेरे

रोज़ निकलता है ये गुलाम शहर मेरा
हर किसी को टुपट्टे रंगवाने हैं तेरे

सीधा सादा सजग पुनीत सा मैं हूं
रूप के कायल कई जमाने हैं तेरे

न जाने कितने ठिकाने हैं तेरे

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4 OCT 2021 AT 10:30

तुम्हारी प्यार भरी तबस्सुम के पीछे का
सारा काला मतलबी राज जानता हूं मैं।
मत बताओ मुझे तुम कितने शरीफ हो,
तुम्हारी हर एक खुराफात जानता हूं मैं।।

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6 JUL 2021 AT 8:51

आंखों ही आंखों में जब इक रवानी हुई,
हमने समझा मुक्कमल इश्क कहानी हुई।
पहली नज़र में मोहब्बत वाले किस्से,
अजी अब रवायत ये सदीयों पुरानी हुई।।

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4 JUL 2021 AT 12:25

सुना था दूरियां नज़दीकियां बढ़ा देती है,
जुल्म के तुमको वेखबर हो जाना रास आया है।।

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3 JUL 2021 AT 13:36

नींदें उड़ा दी हैं उसकी,
ख्वाब अब वो कम ही देखती है।
जब से मिला हूं मैं उसको,
वो आंखे बस मुझको देखती हैं।।

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2 JUL 2021 AT 10:51

हर मखसुस अंदाज़ है काबिले तारीफ
मंज़िल-ए-मकसूद है परवरिश तुम्हारी

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1 JUL 2021 AT 9:32

वो लगातें हैै हम पर,इल्ज़ाम पर इल्ज़ाम अब,उनको कोन बताएं,
जो हैं खुद दूसरों के सताए हुए,वो ना मुराद,किसी को क्या सताएं।।

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30 JUN 2021 AT 9:59

कुछ यूं हसीं रक्श-ए-ग़ज़ल हुआ करती थी वो
जां निकालले ऐसी दिलों जां हुआ करती थी वो

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