Punit Raja   (✍️पुनीत राजा "बेबाक")
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Joined 5 February 2018


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1 FEB AT 14:08


"बूझो तो जाने"


कहते हैं कि
सच तो अखबार से आता है।

और आजकल 
अखबार सरकार से आता है।

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17 OCT 2024 AT 21:31

रिश्तेदारों में शोर है कि
लड़का तरक्की कर गया 
शहर में एक घरौंदा खरीदा है।
और सच ये है कि
गांव के खुले आसमान को बेच कर
शहर में एक बंद खिलौना खरीदा है।

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31 AUG 2024 AT 17:38

आओ मिलकर ठीक कहें
झूठ को हम, सिर्फ झूठ कहें।
गरीबों को मारती नीतियों को
सब हिम्मत करके लूट कहें।
आओ मिलकर...

थोड़ा सच के साथ सोचना होगा
चिल्लाते झूठ को टोकना होगा।
ये मजहब वाले खेल को अब 
मजबूती के साथ रोकना होगा।

चंद झूठे प्रपंचो से न
समाज मे कोई फूट पड़े।
आओ मिलकर ठीक कहें
झूठ को हम, सिर्फ झूठ कहें..

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30 JUL 2024 AT 12:59

हादसा ये नया नहीं है,
पहले भी अपने मारे जाते थे।
आज शरीर को मारा जा रहा,
कल सपने मारे जाते थे।

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3 JUL 2024 AT 11:03

धर्म का अस्तित्त्व जब मानवता से दूर

धंधा और कारोबार वाला हो जाएगा।

तब मनुष्य का कीमत भी इंसान नही

कीराने के सामान वाला हो जाएगा।

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10 APR 2024 AT 13:03

ऊँची ऊँची इमारतों के इस समुन्द्र में
न जाने कितने सपने और ख्वाब डूब गए।
या कहें तो रखा गया उन्हें वंचित 
सुर्य प्रकाश रूपी उम्मीद से 
और स्वच्छ हवाओं रूपी जीवन से,
इसलिये ये जान पड़ता है कि
ये सारे ख्वाब और सपने डूबे नही
बल्कि उन सारे ख्वाब और सपनों को
हक़ीक़त के उस किनारे पर
पहुँचने से पहले ही 
डूबा दिया गया है।

हमारी सामाजिक संरचना गुनहगार है
इतने सारे ख्वाबों के कत्ल का।

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7 JUL 2022 AT 11:56

मुझे शोर नही चाहिए
मुझे कुछ और नही चाहिए,
बस चुपके से
इन हथेलियों के रास्ते
दिल तक पहुँचना हैं।

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30 JAN 2022 AT 10:17

प्रिय मित्र,
पुनीत राजा "बेबाक"

विषय:- अपने अंदर के लेखक से
अजनबी होता मै, अपने ही कलम
और शब्दों से वफ़ा नही कर पा रहा।

......
......
(पूरा खत अनुशीर्षक में पढ़ें)
......

तुम्हारा उलझा हुआ मित्र,
पुनीत — % &

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29 SEP 2021 AT 15:03

मै शराब लेकर आया था,
वह नशा लेकर आयी थी।
रात का भारी होना लाजिम था।।

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10 SEP 2021 AT 22:26

तब:-
मै रंग था, वह सादा कागज थी
दोनो का मिलना एक हादसा था।

जब:-
मै उसमे घुलता गया,
वह मुझमे रमती गयी।

अब:-
मै खत्म हो गया,
वह रंगीन हो गयी।

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