Punit Raja   (✍️पुनीत राजा "बेबाक")
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Joined 5 February 2018


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11 JUN AT 14:47

"चाँद, नील आर्मस्ट्रांग और इश्क़"


लेकिन अगर आज नील आर्मस्ट्रांग होते 
तो उन्हें कितना जलन होता न!
जब उन्हें पता चलता कि,
कोई है जो बिना किसी मेहनत और 
बिना हजार प्रकाशवर्ष की दूरी तय किये 
धरती पर ही रोज एक चाँद का दीदार करता है।
.......


(पूरा अनुशीर्षक में पढ़ें.......)

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10 JUN AT 14:59

मेरे चेहरे पर कातिल लिखा है क्या ?

नही न ! 
मै शातिर जो ठहरा,

अपनी ख़्वाहिशों की हत्या भी 
बड़ी सावधानी से करता हूँ।


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27 MAY AT 10:56

राज और रिया

एपिसोड - 8
(Mission सिंदूर)

लघु प्रेम कथा (लप्रेक)

पूरा caption में पढ़ें

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1 FEB AT 14:08


"बूझो तो जाने"


कहते हैं कि
सच तो अखबार से आता है।

और आजकल 
अखबार सरकार से आता है।

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17 OCT 2024 AT 21:31

रिश्तेदारों में शोर है कि
लड़का तरक्की कर गया 
शहर में एक घरौंदा खरीदा है।
और सच ये है कि
गांव के खुले आसमान को बेच कर
शहर में एक बंद खिलौना खरीदा है।

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31 AUG 2024 AT 17:38

आओ मिलकर ठीक कहें
झूठ को हम, सिर्फ झूठ कहें।
गरीबों को मारती नीतियों को
सब हिम्मत करके लूट कहें।
आओ मिलकर...

थोड़ा सच के साथ सोचना होगा
चिल्लाते झूठ को टोकना होगा।
ये मजहब वाले खेल को अब 
मजबूती के साथ रोकना होगा।

चंद झूठे प्रपंचो से न
समाज मे कोई फूट पड़े।
आओ मिलकर ठीक कहें
झूठ को हम, सिर्फ झूठ कहें..

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30 JUL 2024 AT 12:59

हादसा ये नया नहीं है,
पहले भी अपने मारे जाते थे।
आज शरीर को मारा जा रहा,
कल सपने मारे जाते थे।

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3 JUL 2024 AT 11:03

धर्म का अस्तित्त्व जब मानवता से दूर

धंधा और कारोबार वाला हो जाएगा।

तब मनुष्य का कीमत भी इंसान नही

कीराने के सामान वाला हो जाएगा।

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10 APR 2024 AT 13:03

ऊँची ऊँची इमारतों के इस समुन्द्र में
न जाने कितने सपने और ख्वाब डूब गए।
या कहें तो रखा गया उन्हें वंचित 
सुर्य प्रकाश रूपी उम्मीद से 
और स्वच्छ हवाओं रूपी जीवन से,
इसलिये ये जान पड़ता है कि
ये सारे ख्वाब और सपने डूबे नही
बल्कि उन सारे ख्वाब और सपनों को
हक़ीक़त के उस किनारे पर
पहुँचने से पहले ही 
डूबा दिया गया है।

हमारी सामाजिक संरचना गुनहगार है
इतने सारे ख्वाबों के कत्ल का।

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7 JUL 2022 AT 11:56

मुझे शोर नही चाहिए
मुझे कुछ और नही चाहिए,
बस चुपके से
इन हथेलियों के रास्ते
दिल तक पहुँचना हैं।

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