पुनीत शुक्ला  
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Joined 12 April 2018


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Joined 12 April 2018

लौट आती हैं वो तारीखें,
मगर वो दिन नहीं लौटा करते... ,,

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पहाड़ कठोर है इसलिए नदियां छोड़ जाती हैं,
या नदियां छोड़ जाती है इसलिए पहाड़ कठोर हैं? ... ,,

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जितनी रातें आप जागकर बिताते हो,
वे सब की सब आपकी आंखों के नीचे इकठ्ठा हो जाती हैं... ,,

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जितनी रातें आप जागकर बिताते हो,
वे सब की सब आपकी आंखों के नीचे इकठ्ठा हो जाती हैं... ,,

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यहां पर दूसरों की तकलीफ़ को लोग कर्मों की सजा मानते हैं,
और अपनी तकलीफ़ को परीक्षा... ,,
(कलयुग)

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लोग मदद करते हैं' l

मगर सिर्फ़ उतनी,
जितने में आप,
उनसे ऊपर न जाएं... ,,

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✨जिंदगी में कुछ रास्ते सब्र के होते हैं और कुछ सबक के... ,,

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🎊-आपसे मिलकर अच्छा लगा- '2024'🎊
🎉 स्वागत, वंदन, अभिनंदन है "2025"🎉
नववर्ष का आगमन, विगत वर्ष की कुछ अनकही दास्तां लिए हुए मन-दर्पण को प्रफुल्लित करता है, मानो सहमे हुए चुनिंदा ख्वाब फिर जद्दोजहद के रूप में नव क्रमबद्ध होने को हों जैसे... ,, 🌄
असल में आप बारीकियों से देखें तो जीवन का प्रत्येक दिन बीत कर पुनः एक नव निर्माण करता है जो यह प्रत्यक्ष रुप से दर्शाता है कि हर क्षण नववर्ष है !

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प्रकृति का काम तो सिर्फ़ पहचान कराना है,
रिश्तों की उम्र क्या होगी ये आपके व्यवहार पर निर्भर करता है... ,,

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ये दिन इस विश्वास को सुदृढ़ करता है कि
असत्य पर सत्य की,
अत्याचार पर सदाचार की,
दम्भ पर विनम्रता की विजय होती ही है... 🪔🪔

🌻शुभ विजयादशमी🌻

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