किसी चीज़ के टूट जाने पर ज़मीन को साफ कर देना
कोई छोड़ कर चला जाये तो उसे माफ़ कर देना
दिल में जिंदादिली रखो यार मर थोड़े गये
एक के छोड़ जाने पर जिंदगी से डर थोड़े गये
तुम दिल को धड़कने दो बेझिझक मत डरो
दोबारा इश्क़ करो बेकार की फिक्र मत करो
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कुछ कहानियाँ अधूरी रह जाती है
बिन कहे ही सब कुछ कह जाती है
ना उसने कुछ कहा ना मैंने कुछ कहा
हम बस मुस्कुराये एक दूसरे को देख कर
कुछ बातें उसकी रह जाती है कुछ मेरी रह जाती है
कहने को कुछ बचा ही नही था
बस एक एहसास था दोनों के दरमियाँ
के वो भी सही थे और मै भी सही था
कुछ हसरतें उसकी रह जाती है कुछ मेरी रह जाती है
जिंदगी के धागे ऐसे ही होते है
कुछ बुने जाते है तो कुछ टूट जाते है।
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हूँ कर रहा अकेला मैं हर सफर अपना
हूँ छोड़ आया मीलों दूर मैं घर अपना
नौकरी की चाह ने दिये बना पराये सब
होने लगे बूढ़े जो माँ बाप घर में
उनकी चिंता में मन मेरा घबराये अब
है कट जाती छुट्टी तीस दिन की पल भर में
दिन आखिरी भी गुज़र जाता किसी सपने सा घर में
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कभी तो मेरे भी लहलहाते खेत होंगे
हम भी तमाम खुशियों के समेत होंगे
न होगी कोई चिंता किसी भी बात की
जब नौकरी के साथ हम कारोबार के समेत होंगे।
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किसी ने कुछ किसी ने कुछ समझा मुझे
जब उससे बात की तो उसने अपना समझा मुझे
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मैं इश्क़ में हूँ तेरे पर तुझसे मुलाकात नही करता
लोगों को तेरे बारे में पता ना चले इसलिए तुझसे बात नही करता-
चर्चा चल रहा था खूबसूरती का मैं जिक्र तेरा कर आया
लोगों को बेवजह की फिक्र मैं दे आया-
आँखों से की गयी बात दिल में उतर जाती है
ज़ुबाँ क्या है जनाब कहीं भी मुकर जाती है
इज़हार-ऐ-इश्क़ करना हो तो आँखों से करना
तब कहीं जाकर मोहबत्त असर कर जाती है-
बैठे बैठे खुद से ही सवाल बेफिज़ूल करते है
तेरे सामने हर दफह गलती अपनी कुबूल करते है
इश्क़ है तुमसे तुम्ही से आशिकी वसूल करते है
इश्क़ हो तुम्ही से हर जन्म ये भूल करते है !
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रहकर घरों से दूर अपने करते हैं रखवाली भारत की सीमाओं की
छोड़ कर आये हैं पीछे हम खाकी धारी गलियाँ अपने गाँव की
हाथों में बंदूक मन में दृढ़ विश्वास है
देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा हमारे पास है
घर परिवार के लिए हम मेहमान के समान है
चंद दिनों की छुट्टी आते है फिर वापस मिलती कमान है
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