Puneet Singh   (Puneet singh)
196 Followers · 401 Following

Joined 28 April 2019


Joined 28 April 2019
15 MAR AT 1:47

किसी चीज़ के टूट जाने पर ज़मीन को साफ कर देना
कोई छोड़ कर चला जाये तो उसे माफ़ कर देना
दिल में जिंदादिली रखो यार मर थोड़े गये
एक के छोड़ जाने पर जिंदगी से डर थोड़े गये
तुम दिल को धड़कने दो बेझिझक मत डरो
दोबारा इश्क़ करो बेकार की फिक्र मत करो


-


12 MAR AT 23:46

कुछ कहानियाँ अधूरी रह जाती है
बिन कहे ही सब कुछ कह जाती है
ना उसने कुछ कहा ना मैंने कुछ कहा
हम बस मुस्कुराये एक दूसरे को देख कर
कुछ बातें उसकी रह जाती है कुछ मेरी रह जाती है
कहने को कुछ बचा ही नही था
बस एक एहसास था दोनों के दरमियाँ
के वो भी सही थे और मै भी सही था
कुछ हसरतें उसकी रह जाती है कुछ मेरी रह जाती है
जिंदगी के धागे ऐसे ही होते है
कुछ बुने जाते है तो कुछ टूट जाते है।

-


4 DEC 2024 AT 7:59

हूँ कर रहा अकेला मैं हर सफर अपना
हूँ छोड़ आया मीलों दूर मैं घर अपना
नौकरी की चाह ने दिये बना पराये सब
होने लगे बूढ़े जो माँ बाप घर में
उनकी चिंता में मन मेरा घबराये अब
है कट जाती छुट्टी तीस दिन की पल भर में
दिन आखिरी भी गुज़र जाता किसी सपने सा घर में

-


4 DEC 2024 AT 7:45

कभी तो मेरे भी लहलहाते खेत होंगे
हम भी तमाम खुशियों के समेत होंगे
न होगी कोई चिंता किसी भी बात की
जब नौकरी के साथ हम कारोबार के समेत होंगे।

-


29 NOV 2024 AT 19:27

किसी ने कुछ किसी ने कुछ समझा मुझे
जब उससे बात की तो उसने अपना समझा मुझे

-


4 NOV 2024 AT 19:41

मैं इश्क़ में हूँ तेरे पर तुझसे मुलाकात नही करता
लोगों को तेरे बारे में पता ना चले इसलिए तुझसे बात नही करता

-


4 NOV 2024 AT 19:30

चर्चा चल रहा था खूबसूरती का मैं जिक्र तेरा कर आया
लोगों को बेवजह की फिक्र मैं दे आया

-


1 NOV 2024 AT 22:30

आँखों से की गयी बात दिल में उतर जाती है
ज़ुबाँ क्या है जनाब कहीं भी मुकर जाती है
इज़हार-ऐ-इश्क़ करना हो तो आँखों से करना
तब कहीं जाकर मोहबत्त असर कर जाती है

-


1 NOV 2024 AT 22:21

बैठे बैठे खुद से ही सवाल बेफिज़ूल करते है
तेरे सामने हर दफह गलती अपनी कुबूल करते है
इश्क़ है तुमसे तुम्ही से आशिकी वसूल करते है
इश्क़ हो तुम्ही से हर जन्म ये भूल करते है !

-


10 OCT 2024 AT 19:57

रहकर घरों से दूर अपने करते हैं रखवाली भारत की सीमाओं की
छोड़ कर आये हैं पीछे हम खाकी धारी गलियाँ अपने गाँव की
हाथों में बंदूक मन में दृढ़ विश्वास है
देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा हमारे पास है
घर परिवार के लिए हम मेहमान के समान है
चंद दिनों की छुट्टी आते है फिर वापस मिलती कमान है

-


Fetching Puneet Singh Quotes