Punam Gupta   (मानी)
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23 sep 🎂
उधेड़ कर दुबारा बुन
रही हूँ...
Joined 31 July 2017


23 sep 🎂
उधेड़ कर दुबारा बुन
रही हूँ...
Joined 31 July 2017
9 FEB 2022 AT 16:23

सबको यहाँ हिन्दू -मुस्लिम ही बनना है तो सेक्युलरिज़्म का आचार डाल देते हैं हम... संविधान के बरनी में 🙄

— % &

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20 DEC 2021 AT 9:30

मैंने कविताओं से उनके अयोग्य पात्र हटा दिए हैं
खंडहर की भाँती
निर्जन ,वीरान सी खड़ी दिखती हैं
तकती है कातर नेत्रों से
पूछती है अपना अपराध
पर नहीं माँगती न्याय,
भाव जो पात्रों से सार्थक थे
निष्प्राण पड़े हैं
अंतिम संस्कार की प्रतिक्षा में
और मैं विवश..
सारे कर्मों ….
विकर्मों
मूढ़ताओं
व्यथाओं
और अपमान से
पूर्ण मुक्ति हेतु....
अनिवार्य है.…
मृत्यु।

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25 NOV 2021 AT 7:22

बड़े नज़ाकत से दिल,तस्लीम रुसवाईयाँ करता है
दिल नफ़ासत में 'परवीन शाकिर' हुआ जाता है।

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20 SEP 2021 AT 8:17

कभी देखा है
विदा होते चाँद को
मौन ओढ़ता है
देखकर
बदलते वक्त में
बदलती शख़्सियत अपनी

बीती रात जिसका
ज़िक्र था
रूतबा
मिसालें थीं
चढ़ते आफ़ताब
के तेज रौशनी में
यूँही ग़ुम हो जाता है...!

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19 SEP 2021 AT 20:18

मन के मौसम की कोई सटीक भविष्यवाणी नहीं होती ,हाँ इतिहास होता है,जिसकी खुदाई से अक्सर भविष्य बिगड़ जाता है।

😁

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7 AUG 2021 AT 22:10

हम उस दौर के बंदे हैं
जहाँ बातों में मतलब हैं
और मतलब की बातें हैं
लतीफ़ों में हक़ीक़त है
हक़ीक़त भी लतीफ़ा है
किसी के हिस्से की ज़िल्लत
किसी का शोहरती वज़ीफ़ा है।

#मानी

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12 MAY 2020 AT 22:33

नाज़ुक दिली जज़्बात
कभी थककर सफ़र में
रुक जाते हैं
कभी दिमाग़ की तेज रौशनी से
घबराते हैं
डरकर ओट ले छुप जाते हैं
लाख सोचकर जाते हैं
चाहकर भी
हम सब कुछ कहाँ कह पाते हैं।



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3 APR 2020 AT 12:22


प्यार पहले मोहब्बत होती है
फिर मन मुताबिक़ हो जाती है।

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21 MAR 2020 AT 20:31


कभी वीरों का यशगान किया कभी बलिदानों से रक्त-रंजित हुई!!
कभी संतप्त हृदय की धार बनी कभी भाव विह्ल हो हर्षित हुई!!
कभी क्रांति का स्वर बनी कभी विवशताओं में झँकृत हुई!!
कभी दृष्टिगत रही मात्र कभी आत्म समाहित हो सुरभित हुई!!

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21 MAR 2020 AT 15:38

अज़ी बड़ी बा-ईमानी से बेईमान रहता हूँ
इश्क़ में मैं, बाख़ूब सियासतदान रहता हूँ।

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