समय इस संसार की सबसे विचित्र
लेकिन सबसे यथार्थ चीज है,
ये एक होकर भी एक नहीं है
संपूर्ण होकर भी अधूरेपन से परिपूर्ण है,
एक प्रेमी के लिये ये कैद है
अपनी प्रेमिका के साथ में,
एक कवि के लिये ये कैद है
रचना करने की अवस्था में,
कोई खोया है
भविष्य की परिकल्पनाओं में,
कोई इंतजार कर रहा है
सब-कुछ छोड़ सकने वाले क्षण का,
अपने भीतर छुपाये समय को
सभी जीना चाहते हैं बार-बार,
शायद समय की तृष्णा ही
मनुष्य के मूल में छुपी विडम्बना है।
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