पुलकी   (💐पुलकी💐)
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मैं लिखती हूँ जब विचार साँस नही लेने देते...जज़्बात ठहरने लगते है,,,जी हाँ मैं लिखती हूँ!
Joined 22 February 2019


मैं लिखती हूँ जब विचार साँस नही लेने देते...जज़्बात ठहरने लगते है,,,जी हाँ मैं लिखती हूँ!
Joined 22 February 2019
23 SEP 2022 AT 1:22

यहाँ से चलो चलते हैं अब
ऊब रहा है मन चलो घर चलते हैं अब

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31 MAR 2022 AT 20:36

उसका पता मेरा भी पता हो जाए
फिर चाहे वो ही लापता हो जाए
बाँध के पाजेब ढूँढने निकलूँगी उसको
वो सिर्फ़ मेरी ही गिरफ्त में कैद हो जाए

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23 MAR 2022 AT 14:02

आपसे मिलकर मेरा उद्देश्य परिवर्तित हो चुका है
जो है आपका उद्देश्य वो अब मेरा भी हो चुका है
पूछती हूँ खुद से अकेले में जो सवाल "पुलकी"
यहीं था ख़्वाब- ए -ज़िन्दगी या अभी हो चुका है

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15 JAN 2022 AT 23:34

यहाँ से चलो चलते हैं अब
ऊब रहा है मन चलो घर चलते हैं अब

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20 NOV 2021 AT 9:33

फूल हो जाऊं गर तो
उनकी ख़ुशबू की तलाश तुम हो जाओ
किसी को याद में आऊं तो
उनकी यादों का ठिकाना तुम हो जाओ

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14 SEP 2021 AT 8:01

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल,
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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10 SEP 2021 AT 8:00

सुप्रभात के मंगलाचरण की शुभकामना
तुम्हें निज उत्थान की शुभकामना
तुम्हारे ज़ेहन में बसे भावों की शुभकामना
आओ शुरू करे हम इंसानियत की प्रार्थना
Happy Ganesh Chaturthi

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7 JUL 2021 AT 8:39

माँ बाप का दूसरा नाम है वो
ज़िन्दगी का हसीं किस्सा है वो
सिर्फ भाई ही नहीं मेरा गुरूर है वो
Happy Birthday Bhaiya

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3 JUL 2021 AT 22:38

"चंद बातों पर सिर्फ़ हमारा एकाधिकार हुआ करता था
आज बादल साफ जो हुए वो अधिकार भी छिन चुके है"

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29 MAY 2021 AT 23:43

गुजरे जब तन्हाई के आलम से तू
उसकी याद को निकाल सामने रखना
भीड़ में जब खुद को अकेला समझे तू
अपने दोस्त-ए-ख़ास को एक आवाज देना
ज़माने की "शानो शौकत" "धन दौलत"
जब सुकून ना दे तुझे
थाम हाथ उसका तब घर से बाहर कही
निकल चलना
जब कदम तेरे लड़खड़ाने लगे
कुछ ज्यादा ही फिर वो डगमगाने लगे
जो आके सामने तेरी बैसाखी बने.
ऐसे दोस्तों को कभी ना भूलना..
जमाने की भीड़ में बचाके रखना...

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