आपसे मिलकर मेरा उद्देश्य परिवर्तित हो चुका है जो है आपका उद्देश्य वो अब मेरा भी हो चुका है पूछती हूँ खुद से अकेले में जो सवाल "पुलकी" यहीं था ख़्वाब- ए -ज़िन्दगी या अभी हो चुका है
सुप्रभात के मंगलाचरण की शुभकामना तुम्हें निज उत्थान की शुभकामना तुम्हारे ज़ेहन में बसे भावों की शुभकामना आओ शुरू करे हम इंसानियत की प्रार्थना Happy Ganesh Chaturthi
गुजरे जब तन्हाई के आलम से तू उसकी याद को निकाल सामने रखना भीड़ में जब खुद को अकेला समझे तू अपने दोस्त-ए-ख़ास को एक आवाज देना ज़माने की "शानो शौकत" "धन दौलत" जब सुकून ना दे तुझे थाम हाथ उसका तब घर से बाहर कही निकल चलना जब कदम तेरे लड़खड़ाने लगे कुछ ज्यादा ही फिर वो डगमगाने लगे जो आके सामने तेरी बैसाखी बने. ऐसे दोस्तों को कभी ना भूलना.. जमाने की भीड़ में बचाके रखना...