Puja singh  
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Joined 16 January 2025


Joined 16 January 2025
1 MAY AT 14:21

कहने को तो बस एक मजदूर हैँ वो लेकिन घर की दाल रोटी से लेकर देश दाल रोटी जुटाते हैं.
हां वो मजदूर ही हैं जो कभी खेत खलिहान में,
तो कभी सड़को पर दीखते है.
कभी मजदूरी के तलाश में दर बदर भटकते, तो
कभी किसी फैक्ट्री का चक्कर काटते दीखते हैं.
घर तो इनका बस नाम का होता है,आश्रय इनका काम ही होता है.
जरुरत से लेकर सपने तक ये सबका पुरा करते हैं,
अपने लिए इनकी जरूरतें पुरी हो जाए ये काफी है.
चंद पैसों के लिए इनसे जो चाहे वो करबा लो क्यूंकि इनको अपनी नही अपनी परिवार की फीक्र रहती है.
हां वो मजदूर ही है जो खुद को समर्पित करके
सबको को सम्मान देते हैं.
इनकी मजदूरी इन्हें इस तरह मजबूर कर देती है कभी इन्हें अपना घर भी छोड़ना पड़ता है.
हां कहने को तो बस वो एक मजदूर हैं.

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27 APR AT 13:39

नाम गुमनाम है, इसे आजाग होने में थोड़ा बक्त लगेगा.
हम सफलता के सोहबत में ईट ईक्कठा कर रहे,
मकान बनने थोड़ा बक्त लगेगा.

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24 APR AT 1:47

यूँ तो चैन से एक पल भी ना गुजरा.
उलझनों का काफिला हमेशा मेरे संग चला.
आंधी आया,तूफान आया और हर बार एक नया इम्तिहान आया.

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15 APR AT 19:04

सीख रही हूँ सफर में खुद को संभालना
ताकी कहानियाँ गढ़ सकूँ.
अपनी जज्बातों को भी किताबों में समेट लिया है ताकी दास्तां सुना सकूँ.

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15 APR AT 2:23

दिन को रात और रात को दिन कह रही हूँ,
सफर में धूप और छाँव हैँ लेकिन मैं इसे बसंत कह रही हूँ.

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6 APR AT 15:45

वक़्त कैसा भी हो गुजर ही जाता है,
दिल के सैलाब आँखों से बेह जाता है.
अँधियारा, उम्मीदों के किरणों से.
जिंदगी का परांव उलझे और सुलझे किस्सों से गुजर ही जाता है.
खुद को बस धैर्य की चादर में समेटने की जरुरत होती है.

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21 MAR AT 22:53

हां हम बिहार हैं ; जो विहार से आएं हैं.
जो कभी अखंड भारत के निर्माण में योगदान दिया,
जिसने विश्व को गणराज्य दिया तो कभी शून्य से गणित को सम्पूर्ण किया.
हां हम बिहार हैं ; जहाँ मिथिला की मिठास, भोजपुर की भोजपुरी, मगध की मगही, अररिया की अंगिका तो वैशाली की वज्जिका हैँ.
हां हम बिहार हैं ; जँहा संस्कृति और सभ्यता का उद्भव हुआ,जँहा प्यार में दिल नही पहाड़ तोड़ा गया, जहाँ सालगिरह में क्लब या हॉटेल नही महावीर स्थान जाया जाता है.
हां हम बिहार हैँ.

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18 MAR AT 21:13

तलाश करुँ तो कोइ ना कोइ मिल ही जायेगा,
मसला ये है की मेरी तरह मुझे चाहेगा कौन!

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16 MAR AT 21:03

कुछ लड़कियां बँधी होती हैँ अपने पिता के पगड़ी से, माँ के संस्कार से और भाइयों के शान से; उनके लिए आसान नही होता प्रेम के आसमान में उड़ना...!!

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11 MAR AT 23:36

टूटी है कस्ती, तेज है धारा.
कभी न कभी तो मिलेगा किनारा.

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