आप आओ भी नहीं लाख इंकार हो मगर
एक दिन तो आना है सब कुछ ठिकाने से-
पर्याप्त Paryaapt
(पर्याप्त)
18 Followers · 24 Following
शुरुआत कुछ है, अन्त कुछ नहीं। - पर्याप्त
Selective Reader||××||अनुभवजन्य श्रोता
Carefully C... read more
Selective Reader||××||अनुभवजन्य श्रोता
Carefully C... read more
Joined 8 May 2018
10 FEB 2021 AT 17:37
12 AUG 2020 AT 23:29
डूब रहा हूँ और दुआ भी यहीं है
है कहीं डूबना गर निकलना भी कहीं है।-
7 AUG 2020 AT 22:39
यूँ तो आँखों से सब लिखे देता हूँ, मैं
है भी यूँ कि केवल आँखों से ही पढ़े देते हो, तुम-
6 AUG 2020 AT 11:16
वक़्त मेरा है ये भी अब कहाँ ख़्याल रहा
हर एक रात बस अगली सुबह का मलाल रहा-
16 JUL 2020 AT 14:09
तसव्वुर में हूँ कि मैं तसव्वुर देखूँ
कहाँ देखूँ किसे देखूँ किस नज़र देखूँ-
15 JUN 2020 AT 1:10
कहा करती थी...
तुम्हें कुछ याद नहीं रहता
मैंने उसका ये भ्रम बनाए रक्खा।-
9 JUN 2020 AT 8:18
Meanings are changed
with the Time
"हर इक बात के"
"हर एक चीज़ के"-