प्रशांत मिश्रा   (प्रशांत मिश्रा)
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Joined 8 September 2017


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Joined 8 September 2017

उसके नाम पर मैंने अपनी बेटी का नाम रख दिया
अपनी मोहब्बत साबित करना अब लाज़मी नहीं

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अगर वो मुझसे लड़ता तो शायद मैं उसे मना भी लेता
लेकिन उसकी ख़ामोशी ने कोई गुंजाइश ही नहीं छोड़ी

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मैंने ख़ुद को बदला हुआ देखा है
ख़ुद को बदलते हुए नहीं देख पाया

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सारे जहां को हराकर मुझसे हारने के लिए बैठा है
वो एक शक्स मुझे जीतता देखने के लिए बैठा है

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तुम्हारा मेरी जिंदगी में वापस आना शायद तुम्हारी तरह मुझे भी गवारा नहीं
शायद इसीलिए यादों की गली में ढूंढ़ते हुए कोई कविता लिखने के बहाने
जब पुरानी चैट पढ़ता हूं, और तब खुद को unblock पाता हूं तब दिल करता है,
कि तुझे एक msg कर दूं ताकि तुम फ़िर से मुझे ब्लॉक कर दो और मैं फ़िर से तुम्हे भूल जाने का नाटक करूं....

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मैं कितना तन्हा हूं
तुझको क्या बताऊं मैं
आ बैठ
किसी के दर्द की
नज़्म सुनाऊं मैं

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... After break up ...

Both are in relationship with someone,

physically their partners are attached

But mentally both are with their 1St love

They started talking like friends

But.....

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तेरे हाथों में खंजर हो, और मिरे पीछे तू हो
तब पूछूँगा तुझसे तेरा दिल अब क्या कहता है

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