Prrerak Joshi   (Prrerak)
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Joined 14 January 2018


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Joined 14 January 2018
25 JUL 2024 AT 23:22

उसनें हक़ीक़तों का क़र्ज़ा ले लिया,
इश्क़ को गिरवी रख कर.

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25 JUL 2024 AT 5:36

सामनें बैठ के तू भी अज़ीब करती है,
चुप रहकर अपनी आँखों से बात करती है.

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19 JUL 2024 AT 8:40

जब खोयाँ में था तब तन्हा तुम भी थी.
जब घबराया में था तब परेशान तुम भी थी.
सोचता हूँ कहीं इश्क़ ना कर बैठूँ क्योंकि
महोब्बत में में होऊँगा और . . . .

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18 JUL 2024 AT 21:39

मन की भीड़ को देख कर,
बाहर के सन्नाटे से इश्क़ हो गया.
-०७/१८/२९२४

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18 JUL 2024 AT 9:21

तू दूर हो कर भी पास सी लगती है
पता है नहीं मिलेंगे कभी तुझसे,
पर फिर भी ना जाने क्यों
मिलने की आस सी लगती है.
- ७/१८/२०२४

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7 MAY 2024 AT 5:05

आवाज़ बहोत करता है, जब टूटता है,
अपना है जो समझे उसको, फ़र्क़ बस उतना है.

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16 JAN 2018 AT 8:34

सच को खोजने की चाह मे जूठ लिये फिरते है,
अपनी ही नज़रो में न जाने कितनी बार गिरते है।

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26 JUN 2021 AT 15:17

कागा कागा रे मोरी इतनी अरज तोसे
चुन चुन खाइयो मांस
अरजिया रे खाइयों ना तू नैना मोरे
खाइयों ना तू नैना मोहे
पिया के मिलन की आस

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13 JUL 2020 AT 23:01

उसने प्यार का ज़िक्र
कुछ इस तरह किया,
नाम पूछा जब 'जाम' का
उसने नाम 'चाय' का लिया.

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27 JUN 2020 AT 0:02

सँवर के अपने जिस्म को
उसे चेन ना मिला,
दो बातें प्यार से की,
वो फिर बिखर गया.

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