Prrerak Joshi   (Prrerak)
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Joined 14 January 2018


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26 JUN 2021 AT 15:17

कागा कागा रे मोरी इतनी अरज तोसे
चुन चुन खाइयो मांस
अरजिया रे खाइयों ना तू नैना मोरे
खाइयों ना तू नैना मोहे
पिया के मिलन की आस

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13 JUL 2020 AT 23:01

उसने प्यार का ज़िक्र
कुछ इस तरह किया,
नाम पूछा जब 'जाम' का
उसने नाम 'चाय' का लिया.

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27 JUN 2020 AT 0:02

सँवर के अपने जिस्म को
उसे चेन ना मिला,
दो बातें प्यार से की,
वो फिर बिखर गया.

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26 JUN 2020 AT 23:58

એક કલ્પના છે
જ્યાં પ્રેમની હૂંફ મળે છે
ત્યાં પણ વ્યક્તિ રોકાઈ જાય છે.

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15 JUN 2020 AT 22:51

इस भीड़ में इतने भी मत घुल जाना,
की ख़ुदसे ही तनहा हो जाओ.

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9 JUN 2020 AT 22:34

निखरे हम ईश्क़ में कुछ इस तरह,
की बिखरना भी हमको जायज़ लगने लगा.

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4 JUN 2020 AT 0:01

दोस्ती की है तो
निभानी तो पड़ेगी ही,
ये कोई कोरोना थोड़ी है
जिसमे चैन तोड़नी पड़ेगी.

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9 FEB 2020 AT 15:51

बुलाती है मगर जाने का नइ,
ये दुनिया है इधर जाने का नइ.
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर,
मगर हद से गुजर जाने का नइ.
कुशादा ज़र्फ़ होना चाहिए,
छलक जाने का भर जाने का नइ.
सितारें नोच कर ले जाऊँगा,
मैं खाली हाथ घर जाने का नइ.
वबा फैली हुई है हर तरफ,
अभी माहौल मर जाने का नइ.
वो गर्दन नापता है नाप ले,
मगर जालिम से डर जाने का नइ.
– राहत इन्दौरी


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2 FEB 2020 AT 14:09

कुछ थोड़े से पैसे कमाने के लिए,
लम्हो में जीना भूल गए है हम

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31 JAN 2020 AT 7:36

सुहाना है ये मौसम,
फ़िर क्या तुझे है गम.
मिल जाना बस ऐसे ही,
लेके चाय में शक्कर कम.

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