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Joined 20 August 2019


Joined 20 August 2019
11 SEP 2022 AT 19:06

"उसने कहा था"

ख्याल था जिसका मुझे,
सिर्फ ख्याल में ही मिला वही,
सवालों के जवाब भी,
सवाल में ही मिला कहीं..

मैं आया नए कपड़ों में मंदिर में,
सोचा कुछ पूरी ख्वाइश होगी,
पर तुम बोली, तुम्हारी नई खुशियों की मन्नत मांगू,
ना सोचा था यह तुम्हारी गुजारिश होगी..

उदासियों का सबब क्या बताए किसी को,
सांस लेना कोई जिंदा होने का सबूत तो नहीं,
भगवान भी सोचता होगा यह नास्तिक क्यों मांगता है रोज किसी और की खुशियों की बारिश,
क्या बताए उसको की "उसने कहा था"..


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26 AUG 2022 AT 20:29

"गुजारिश"

रोज रात को अपना दर्द ढके,
बिस्तर में यूं पड़े रहते हैं,
पर सच बताए तुमको या क्या कहें,
कभी किसी के सामने अपने जख्मों की नुमाइश ना करी..

कुछ भ्रम में रहे तुम भी, कुछ भ्रम में हम भी,
की जरूरत ही न समझें कभी खुद की,
और न तुमने कभी दिल से कुछ दिया,
ना हमने भी तुमसे कभी कुछ ख्वाइश ना करी..

पूछते हैं लोग हमसे किसके साथ हो,
अब तुम्हारी यादों को दिखा नहीं सकता,
बस हो सके तो मेरा मिजाज चुरा लेना,
हंसते रहे हम पर कभी हमदर्द की फरमाइश ना करी..

और शायद हर बार मैं तुमको ही चुनूंगा,
तुम्हारे साथ पल भर ही बर्बाद होने के लिए,
कभी खुदा से खुद की पूरी जिंदगी,
किसी और के साथ आबाद होने की गुजारिश ना करी..

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21 AUG 2022 AT 20:27

तुमने अमीरी इश्क में वो अपना पुराना मकान तो छोड़ दिया,
पर मेरे लिए आज भी उस मकान की अकेली यादों के आगे जैसे फीके सब मेले हो,
तुम एक बार किसी दिन दो पल खुद के बारे में सोचना छोड़ो,
फिर मैं तुमको सच बताऊं की भीड़ में भी तुम कितने अकेले हो..

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21 AUG 2022 AT 19:48

कभी जिक्र नहीं करते खुद के दर्द का,
धीरे धीरे दर्द को ही दवा बनाए लगे हैं
मौत तो आ ही गई थी मिलने,तेरे जाने के बाद,
उसको भी बातों में लगाकर बरसों से बैठाए लगे हैं..

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21 AUG 2022 AT 19:27

तुम्हें भूलने में दिक्कत तो यही आती है,
तुम्हारे अलावा कोई याद आता ही नहीं..

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6 AUG 2022 AT 10:21

जगह

उस जगह से अच्छी कोई जगह नहीं लगती मुझको,
जहां पर मिलते थे हम बार बार,
उस जगह से अच्छी कोई जगह नहीं लगती मुझको,
जहां पर दुनिया से ना कोई हमको सरोबार..

फिर याद आई वही जगह अब हमको,
जहां बातों से दिल का खजाना खोला करते थे,
कभी धूप में कभी बरसातों में,
बेपरवाह से हम कुछ भी घंटो बोला करते थे..

आज लौट आए हैं उस जगह पर,
जहां तुम ना हो, ना हम हैं,
बची बहुत खुशियों की यादें,
और कहीं छुपे कहीं कुछ गम हैं..

उस जगह से प्यारी कोई जगह नहीं लगती मुझको,
जहां की हवाओं से भी था हमको प्यार,
उस जगह से प्यारी कोई जगह नहीं लगती मुझको,
जहां दुनिया की उलझनों से होते थे फरार..

गुजारते थे अपनी शामों को जहां,
बैठकर जिधर हमको राहत होती थी,
भटकते हुए दिन भर पहुंचते थे उस जगह,
जिस जगह से हमको चाहत होती थी।।

उस जगह से अच्छी कोई जगह नहीं,
जहां हर पल लगता था पहली पहली बार,
उस जगह से प्यारी कोई जगह नहीं,
जहां मिलते थे हम बार बार...



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6 AUG 2022 AT 9:07

दिल्ली

कॉलेज जा रहा कहकर घरवालों से निकला,
पर क्लासेज की जगह "IP park" की घासें हमारा पता दें,
जब "CP" में डर डरके कॉफी पीते थे उसके साथ,
कहीं कोई जान पहचान वाला ना देखले और घर में बता दें...

यारों के साथ दबाते थे "पराठे वाली गली" में दस दस पराठे,
और कभी लगाते थे "डोलमा आंटी" के सबसे ज्यादा मोमोज खाने की रेस,
फिर कभी शाम को "सेलेक्ट सिटी वॉक" में
"DU ki crowd" देखकर स्माइल करते थे फेस टू फेस...

तुम्हारा वो "सरोजनी" में हजार की चीज मोलभाव करके डेढ़ सौ में लाना,
और घरवालों से छुपकर "गुलाटी" और ""राजिंदर" का मटन चिकन खाना,
वो "हडसन लेन" में हाथों में हाथ डाले, बस दिल की बातें बोलना
आज क्लास हैं देर हो जाएगी, मम्मी के लिए हर दिन एक ही बहाना...


जब "राजीव चौक" के प्लेटफार्म में अलग होते थे हम,
तुम्हारी लाइन थी "येलो" और मेरी होती थी "ब्लू"
रोज रोज दुनिया से पूरी तरह से बेपरवाह,
अपनी जिंदगी हम जी रहे थे यूं...



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26 JUN 2022 AT 20:16

"झूठ ना बोलूं"

आधी जिंदगी गुजर गई तुम्हारे ख्यालों में,
शायद आगे कुछ और गुजर जाएगी,
तुम मेरे साथ नहीं, सच तो यह ही अगर,
पर खुद से झूठ ना बोलूं तो अकेला हो जाऊं...

कभी यूं लगता है तेरे साथ गुजारा वो वक्त भी,
जो तेरे साथ कभी गुजारा ही नहीं,
गलियों की उदासी पूछती हैं तुम्हारे बारे में,
पर उनसे झूठ ना बोलूं तो गलियां शमशान न हो जाए..

कभी कभी रात भर सिसकता हूं मैं,
हम जवाब क्या देते, खो गए सवालों में,
कभी दुनिया भी पूछती है आंखों का दर्द,
पर उनसे झूठ ना बोलूं तो तू परेशान न हो जाए..

अभी मिलके भी न मिलें जैसे लगे हो तुम,
कभी तड़पते थे मुलाकातों से तुम्हारी,
जिंदगी में तुम्हारे अलावा भी जरूरी है कुछ चीज़ें,
अगर यह बात जिंदगी को न समझाऊं तो यह शाम आखिरी ना हो जाए...






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3 MAY 2022 AT 22:28

ईद तो तुम्हारे जाने के बाद भी आई कई दफा,
पर तुम्हारी मिठास किसी सेवई में न मिली...

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15 DEC 2021 AT 19:04

मेहरबान होके उसे बुलाया भी नहीं,
पर वो मुनासिब होके फिर लौट आए,
कहीं किसी का दिल जज्बातों से तंग हैं,
और कहीं किसी के खुद से ही जंग हैं .

और आके फिर बोली, की तुम्हारी तरह मैं भी अकेली,
जिसें लोग खुशियों में छोड़ देते बेगाने से,
क्योंकि अच्छे लोग जिंदगी में कम,
और किताबों में ज्यादा मिलते,

पर अब मैं इधर ही रहूंगी तुम्हारे पास जिंदगी भर,
और यह बोलकर हौले से कहके पास ही ठहर गई,
लगता हैं शायद जिंदगी साथ ही बिताने के इरादों से,
कुछ ज्यादा ही मोहब्बत हैं "उदासी" को मुझसे...

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