Promilla Qazi   (Promilla)
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Joined 16 February 2017


Joined 16 February 2017
29 JAN 2022 AT 17:13

दर्द कभी दाएं कभी बाएं पहलू से उभरता है
खुदाया मेरा दिल क्यों जगह बदलता रहता है! — % &

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13 JAN 2022 AT 13:18

अपने हाथ इतने हल्के रखिए कि जब दुआ के लिए उठे तो आसानी से उठ सकें।

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10 JAN 2022 AT 20:45

वह कहता हैं भुला रहा हैं मुझे
क्या मैं अब तक उसको याद थी?

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26 OCT 2021 AT 21:49

पीते रहो बेफिक्री से जो भी हाथ आता हैं
कहते हैं कि कुछ ज़हर दवा का काम करते हैं!

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19 OCT 2021 AT 20:19

रंग हाथ में लिए
मन की देहरी लांघ आना
कठिन तो था लेकिन
जिसके साथ चलना था
पीछे मुड़ कर
उसे देह से बंधा देखना
उससे भी कठिन था!

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30 SEP 2021 AT 17:55

इक ज़रा सी उम्मीद थी कि शायद वह रोक लें
इस भरोसे सुबह का सफ़र,शाम तक टाला हम ने!

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25 SEP 2021 AT 18:33

शायद बच गया हो मर जाने से ज़रा सा प्यार कहीं गलती से
मैं आज भी हर रोज़ उसे उम्मीदों की अलमारियों में तलाशती हूं!

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30 JUL 2021 AT 22:21

हम- तुम का खेल बस इक दिलकश फ़साना हैं
हकीकत में, यहां कोई किसी का नहीं होता!

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19 JUL 2021 AT 17:09

बादलों का जमघट फिर
मन को भारी कर रहा हैं
अब के बारिश में फिर कोई
अपने आंसू छुपाएगा!

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16 JUL 2021 AT 13:46

तुम्हारी आवाज़ के हाथो में
दे देती हूँ अपना हाथ
और उसकी एक एक ऊँगली
अपनी उँगलियों में फंसा कर
मरोड़ती हूँ हौले हौले
और क़र्ज़ सा चढ़ा लेती हूँ
खुद पर !
कुछ हिसाब नहीं चाहते
कभी पूरा होना !

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