दोहे
रथ पर चढ़कर आ रहे, हैं इस जग के भूप।
भोर जगाने आ गई, चढ़ आई है धूप।।
विनय करें मिलकर सभी,हो जाएँ अनुकूल।
दिनकर अब मुरझा रहे, पथ के सारे फूल।।
नदिया सारी सूख गईं, सूख गए सब कूप।
व्याकुल पंछी हो रहें, प्रखर बहुत है धूप।।
प्रमिला श्री'तिवारी'
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गीतिका छंद '
झूमती धरती खुशी से पावसी ये बहार है।
आ गया सावन लिए राखी सुखद त्यौहार है।
पर्व बहना भाइयों का है अनूठा प्रेम का,
डोर धागों में छुपा भ्राता बहन का प्यार है।
हाथ की कोमल ये डोरी चाहती सम्मान बस,
भाइयों का प्यार बहनों के लिए उपहार है।
सूत है कच्ची मगर विश्वास है मजबूत दृढ़,
स्वार्थ का इसमें नहीं दिखता कभी आसार है।
हो बड़ी लंबी उमर बहना दुआ देती सदा,
फूल सा खिलते रहो,आशीष की भरमार है।
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मेरे इस काया के सर्जक,
अो शिल्पी---
प्रस्तर को तुमने यह रूप
तो दिया है--
कमोबेश अाखिर उपकार
तो किया है---
चाहते तो एक अदद मन भी
दे दिया होता----
अौर उसके भीतर कुछ सुलगा-
दी होती प्यास---
अौर बुझा दिया होता पिपासा-----!!!
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#मुक्तक #
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किसने आकर खोल दी ,है पूरव का द्वार।
ज्योतिर्मय लगने लगा, यह पूरा संसार ।
घोर निशा को चीरकर ,लाते नवल प्रभात-
आदि देव आदित्य की, महिमा अपरंपार ।
प्रमिला श्री'तिवारी'
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दूसरों द्वारा की गयी गलतियों से सीखो।
अपने ऊपर प्रयोग करके सीखने में तुम्हारी
आयु कम पड़ जाएगी
चाणक्य-
सादर निवेदित
छन्द
शिवशंभु के शुभ नाम का,करता सदा उर ध्यान।
प्रभु दीन पालक आपका,मिलता रहे वरदान।
बस आपकी करुणा मिले ,करते रहें शुभ कर्म -
मनसे मिटे दुर्भावना अरु दूर हो अभिमान।
-2-
करते चलें शुभ कर्म पानव,प्यार की रख नीति।
भरना नहीं छल छद्म भी "उर"में रहे बस प्रीति।
बहती रहे यह प्रीत निर्मल गंग सी रस धार -
हँसते निभा कर ही चलें हम,प्रीति की यह रीति।
प्रमिला श्री'तिवारी'
धनबाद झारखंड-
मुक्तक
शुभ कर्मों पर जीवन जब यह, चलने लगता है।
मीठा फल कर्मों का हमको ,मिलने लगता है ।
करें समय से जो करना है, कहना यह मानें-
धीरे-धीरे जीवन भी यह , ढलने लगता है ।-
तस्मै श्री गुरुवे नमः
परम पूज्य गुरुदेव से,मिला ज्ञान आधार।
इसी भीत पर है खड़ा,मेरा सुख संसार।-
किरणों के स्पर्श से हर कलि फूल बन जाते हैं,
प्रेम के स्पर्श से हर दिल कवि बन जाते हैं !
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नवजवानों ......
आपकी जिंदा जवानी रहे ,,,
आपसे निवेदन है अपनी सोच समझ
कायम रखें, भड़काऊ बहकाऊ बातें
सर्वनाश करती है,आपको तैयार किया
जा रहा है ट्रेनिंग दी जा रही है और
ये भी थोपा नहीं आपकी मर्जी पर है ।
चार साल में जो धनराशि कमाएंगे
उससे आप आगे बढ़ सकते हैं।-