उन किताबों ने जो पापा मंगाया करते थे
जब छोटी थी मैं मेरे पढ़ने के लिए
उन अनुभवी बातों ने जो पापा करते थे
घर में कभी किसी छिड़ी चर्चा के लिए
उन फैंसलों ने जो पापा ने लिए और
मुझे खटकते रहे मेरी समझ बढ़ने तक
उस दिन की निर्धारित भविष्यवाणी ने
जब मम्मी ने असीम पीड़ा सही मेरे जीवन के लिए।

- Pragya Mishra 'पद्मजा'