तुमसे बात करते जो अनुभूतियाँ होती हैं
वे शब्दों में व्यक्त होते नहीं
यूँ समझो इतने महीन शब्द बने ही नहीं,
शायद तुम्हारी ही किसी कविता में मिल जाये
सटीक अभिव्यक्ति कभी!

- Pragya Mishra 'पद्मजा'