कोई बेरोज़गार नहीं होता , जो लोग कुछ नहीं कर रहे वो किसी को सुन रहे हैं, समय दे रहे हैं, एक ठहराव है उनके गले लगाने में , आधी गुड बाय के साथ वे एसकेलेटर नहीं पकड़ते। बैठ सकते हैं, आड़े टिक कर घन्टों , साथ निहारते हुए मेट्रो का महासमुद्र।

- Pragya Mishra 'पद्मजा'