प्रज्ञा मिश्र   (Pragya Mishra 'पद्मजा')
300 Followers · 61 Following

Content Creator, Podcaster , Blogger at Shatdalradio, Radio Playback India and Mentza
Joined 20 September 2018


Content Creator, Podcaster , Blogger at Shatdalradio, Radio Playback India and Mentza
Joined 20 September 2018

अपनी दुआओं को पूरा होते देख
चौराहे पर भटकता याचक
घुटने टेक रोता है प्रश्न पूछता है
तुम कैसे ईश्वर हो
जिसे आश्वासन के लिए
बकरे के रक्त की आवश्यकता हुई
ठीक ठीक समझें तो ईश्वर का न्याय
एक कीमोथेरेपी है
वह अच्छी और बुरी कोशिकाएं
एक साथ मारता है

-



यदि चलते चलते कोई
कहीं नहीं पहुंचा है कभी
तो लोग चलते क्यों हैं
क्या चर्बी घटाने के लिए ?
यदि बुद्धिमत्ता निराशा देती है
तो लोग विचारक क्यों बनते हैं
क्या संतोष से मर जाने के लिए?
यदि पुल बनाने वाला
भविष्य में बंदर कहलाता है
तो निर्माता पुल बनाता क्यों है
क्या सेनाओं द्वारा
उजाड़े जाने के लिए?

-



न मिले शिखर पर
मित्र न साथी
वो मिली हर किसी से
उदाहरण बनकर

-



जीवित रहने,ऊपर उठने,
आगे बढ़ने के लिए
विकसित किए गए गुण
कभी सफलता की कहानी लिखते थे
दिन फिरने पर बन जाते हैं
विनाश का कारण

-



अच्छी नींद आ रही है
नींद सपना देखने जा रही है
कुछ नया सुनना दोस्त
रात घिरती जा रही है
घिरती रात में सच नहीं
सच की कहानी सुनाना दोस्त

-



जब हम एक उद्देश्य तक
पहुंचने के लिए
यात्रा आरंभ करें
तो ये मान कर निकलें कि
उद्देश्य प्राप्ति के बाद
अंतिम पड़ाव पर
हम कहीं नहीं होंगे
केवल भविष्य होगा
इस बात में
जितना दुःख निहित है
इस बात से
उतना ही संतोष भी होगा

-



पाबंदी

बदलाव की लहर चल सकती है
वो बोली तो प्रेरणा बन सकती है
पाबंदी नहीं लगी
लिखने और सीखने पर
पाबंदी अभिव्यक्ति के रास्तों पर थी
डर हमारी प्रसिद्धि से था।

-



बहुत अधिक लोगों के
संपर्क में आना भी
अपनी स्वतंत्र चेतना में
बाधा उत्पन्न करना है

-



किसी से अच्छी बातचीत और परिचय होने का यह अर्थ नहीं है कि लोग आपके स्किल के कारण फटाक से मुफ़्त में काम निकलवाना चाहें, एकदम ना कर के अपने सबसे प्रिय व्यक्ति के लिए अपने आपको फ्री रखना चाहिए।

-



जीवन बड़ा है
बुद्धि छोटी है
सच दिखाई नहीं देता
सागर बड़ा है
आँखें छोटी हैं
सब दिखाई नहीं देता

-


Fetching प्रज्ञा मिश्र Quotes