हृदय की हरी घनी वादियों में तुम थे बनकर बादल छाए,बेसुध में कुछ ऐसे बरसे सारी पहाड़ी से परिचय कर आये!जाओ मैं नहीं मिलने आती ये बूटियाँ ये लताएं री बड़ी तेज़ हैं मुझसे पहले वे मिल आतीं। - Pragya Mishra 'पद्मजा'
हृदय की हरी घनी वादियों में तुम थे बनकर बादल छाए,बेसुध में कुछ ऐसे बरसे सारी पहाड़ी से परिचय कर आये!जाओ मैं नहीं मिलने आती ये बूटियाँ ये लताएं री बड़ी तेज़ हैं मुझसे पहले वे मिल आतीं।
- Pragya Mishra 'पद्मजा'