एक कविता थी
जो कभी लिखी नहीं गयी,
बरसों रही भूमिका मन में लेकिन
फिर बात दायरे से बाहर हो गयी
गर लिखती तो उसका शीर्षक होता
Sweet Dreams

- Pragya Mishra 'पद्मजा'