दूसरों को खुश कर के
आखिर कब तक जिया जाए,
आइए अपनी बात
अपने लहज़े में रखी जाए
हो सकता है प्रशंसाएँ सारी
दूसरों के हिस्से होंगी
कोई तो हो जो खुद से
ईमानदारी का वादा निभाये

- Pragya Mishra 'पद्मजा'