धीरे धीरे बढ़ता जा रहा है ज़ुल्म
धीरे धीरे घटता जा रहा है डर
तुम क्या कर लोगे आखिर
ये हिन्दू-मुसलमान की लड़ाई
तो कभी थी ही नहीं
तब भी नहीं
और आज भी नहीं
ये लड़ाई है
सत्ता में बने रहने की,
काबिज़ रहने की देर तक
अलोकतांत्रिक हथकंडों से।

- Pragya Mishra 'पद्मजा'