लौह पुरुष का ध्येय स्वतंत्रता था,
अहिंसा के मार्ग से लोगों को जोड़ा था,
खुन के बदले आज़ादी जिसका जुनून था,
लाखों की कुर्बानी से एक सपना सच हुआ था,
धर्म जाति से परे साथ मिलकर देशहित में दिया बलिदान था,
तब जाकर हिन्दुस्तान का झंडा गर्व से लहराया था ।
आज फिर सब मिलकर एक कसम लेते है,
ऊंच-नीच धर्म-जाति से परे हमारी सोच को बुलंद करते है,
देकर सम्मान हर नारी को उनके खौफ को मिटा देते है,
प्रेम और भाईचारे से हिन्दुस्तान को मोहब्बत का तोहफा देते है ।
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