इरादे शुरू से ही नेक थे,
पर मंज़िल ही बेवफा निकली।।-
कभी कभी कुछ कहानियां
बिना मुकाम के खत्म हो जाती हैं,
और उसके किरदार हमेशा के लिए पीछे छूट जाते हैं।
पर पता है अच्छी बात क्या है,
कुछ कहानियां ऐसी होती हैं,
जिनमें season 2 भी होता है,
और वो आपको कहानी पूरी करने का एक मौका और देता है।।
So keep going......
......प्रियांशु त्रिवेदी
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जो गूंजता था ठहाकों से,
और त्योहारों में खुशी से।
वो गाँव-घर कहाँ चला गया?
आंखों से ओझल हो गया-
बातों-बातों में ही खो गया।।
ज़रा बतलाओ मुझे कोई,
ये उन्हें क्या हो गया?
बहती हवाओं में,महकती फिज़ाओ में,
थी जो गंध,अब नही है,अपितु पड़ी मंद।
न जाने लगी किसकी नज़र,
थोड़ा-थोड़ा सब पर असर।।
देख कर सबका सफ़र,
बोली मैं जाऊं किधर?
था उसे असमंजस बड़ा,
सब और वह उड़ी हवा।
उड़ी और बढ़ चली हवा,
और सबकुछ पीछे रह गया।।
न जाने सबको क्या हो गया?
गाँव-घर मेरा खो गया।।
........…......……………………प्रियांशु त्रिवेदी🖊️-
देख पाप मिटाने कौन आया,
देख ज्वाला जलाने कौन आया।
देख अंधकार मिटाने कौन आया,
देख परशु चलाने कौन आया।।
हाँ राम है वो,
परशु-राम है वो।
कर दी धरती विहीन क्षत्रियों से 21 बार,
धर्म में रंगा है वो,
धर्म की ध्वजा है वो।
धर्म से ही जीवन,
धर्म पे लड़ा है वो।।
साधुओं की शक्ति को तू ले अब पहचान,
कर इनके श्री चरणों में नमस्कार बारंबार।
....….................................प्रियांशु त्रिवेदी-
राम चन्द्र कह गए सिया से,
एक दिन ऐसा कलयुग आएगा।
रामलला तो काग़ज़ देंगे,
बाकी कोई नहीं दिखाएगा।।
दिखा तमाशा अधिकारों का,
आज़ादी-आज़ादी चिल्लाएगा।
रहेगा तो भारत में,
पर पाकिस्तान की गाएगा।।
और जो करेगा देश से प्यार,
HYPER-NATIONALIST कहलाएगा।
पर जिसके DNA में होगा भारत,
वो भारत माता का जयकारा लगाएगा।।
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दिल तोड़ के तू,
दिल जोड़ने की बात न करना।
गर अब तक जो नही किया याद,
तो अब कभी याद भी न करना।।
प्यार में धोखा तो सुना था,
पर कोई इतने प्यार से धोखा दे,
ऐसा प्यार भी न करना।।(दिल तो....)-2
......................🖋️🖋️प्रियांशु त्रिवेदी
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नीला है ये आसमां,
और पीली धरती धोरा री।
चेतक पे चाले, पकड़ भगवा
म्हारो राणो मेवाड़ी।।
चेतक ने पल भर में ही,
दूरी सारी निपटा दी।
चेतक पे चाले, पकड़ भगवा
म्हारो राणो मेवाड़ी।।
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कश्मीरी पंडित
ए वादी शहज़ादी,
बोलो कैसी हो?
एक दिन तुमसे मिलने, वापस आऊंगा मैं।
कुछ बरसों से टूट गया हूँ,
खंडित हूँ मैं।
वादी तेरा बेटा हूँ मैं,
पंडित हूँ मैं।।
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जाति मुबारक
हमने दोस्ती की रखी इज़्ज़त
जो की दोस्तों की मदद।
पर जब हमने दोस्ती आजमाई,
तो उनकी जाति बीच मे आई।।
जातियों में बटे रहना,
दिखाते रहना अपनी हक़ीक़त।
मक्कार दोस्तों से गले मिलना भी,
अब लगने लगा है फ़ज़ीहत।।
Note:-जाति एक ऐसी व्याधि है जिसका कोई इलाज नही,दोस्ती भी नही।
-प्रियांशु त्रिवेदी
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अब यही है, जो है,नई सुबह है,
इसे ही देखो यही दिवा है।
आगे बढ़ते चल ओ राही,
यही निशा है,यही प्रभा है।।
मेरे आने से रात हो जाती है यूं तो,
पर अंधेरा भी तो भाग जाता है।
नजरिये की बात है..........बाकी
तो,वही दिशा है,वही हवा है।
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