एक वहम...
और फिर
.
.
.
सब कुछ खत्म!!!-
लिखा, जमाने की कद्र उसे है मेरी...
इस एहसास को जीये जमाना हो गया।
ये दिल चला था मशगूल उसे अपना बनाने...
ये तो कम्बख्त खुद से हीं बेगाना हो गया।।
-
क्या देखना था,
और क्या दिखा है
क्या चाहते थे,
और क्या हो रहा है
मुस्कान चेहरे पे
और दिल रो रहा है
थामना था हाथ उसको
थाम गमों ने लिया है
एक साफ सीसे-सा
अब तो हर ख्वाब टूटने लगा है...
जाने क्या-किसे खबर है
इस रिश्ते का है क्या अंजाम
मिलना भी हुआ न अबतक
फिर क्यूँ जुदाई इस शाम
लगता है बदल गए वो अरमान
एक जान थे कभी-आज हुए अनजान
-
तन्हाँ तन्हाइंयों से अब ताल्लुकात रखना है,
कहना अब कुछ नहीं, दिल की गहराईओं में हीं अब अपने जज़्बात रखना है...
— % &-
मेरे अपने, मेरी सहनशक्ति की परीक्षा बड़ी कड़ाई से ले रहे हैं...
पर उन्हें शायद एहसास नहीं की अगर मैं fail हो गयी तो उसका result किसी से भी देखते नहीं बनेगा!— % &-
Sometimes I'm not more than a body,
And sometimes as hopeless as that nothing can be more than this in my life...
Everything is that's it-that's all!— % &-
उन्हें पता भी नहीं कितना जलाते हैं वो हमें,
ख्वाहिश हैं, मेरी चिता भी जला हीं दे अब!-
वो कहते हैं की आज कल नज़रे चूराती हो मुझसे
.
.
अब क्या बताऊ उन्हें
.
.
है मोहब्बत इतनी की जी नहीं भरता तस्वीरों से,
जुबां बयां करना नहीं चाहती और कम्बख्त ये नज़रे कुछ कहने लायक छोड़ती नहीं!-
वो पूछते हैं कहाँ खोयी रहती हो आज कल
.
.
अब क्या कहुँ उनसे? बस यही की
.
.
नशा अगर शराब का होता, तो निकल आते बाहर
इश्क का नशा चढ़ा, और फिर हम डूबते गए-बस डूबते गए!-