Priyanshu Sharma   (PRIYANSHU SHARMA)
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Love to write shayari and poetry ❤️
@instagram @priyanshu_ps9
Joined 10 May 2020


Love to write shayari and poetry ❤️
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Joined 10 May 2020
6 MAY 2021 AT 13:24

क्या खेल है कुदरत का या कर्मा फिर लौट कर आया हैं
यहाँ मौत बनी सस्ती,मेरे देश को सियासत के दलों ने बेच खाया हैं

खुशकिस्मत को नसीब है श्मशान,वरना मरने वाले को अपनो ने ही नकारा हैं
मार कर हर ज़मीर अपना कुछ बहरूपियों ने हवा को भी व्यापार बनाया हैं।।





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10 DEC 2020 AT 23:51

रोटी की है भूख कम यहाँ हवस की भूख ज्यादा है
बेटियों से मन ना भरा,अब पांच बच्चों की माँ को सत्रा भेड़ियों ने नोच खाया हैं

इंसानियत का गला घोंट, हर मंज़र को तार-तार कर डाला है
खुदा भी है रोता यहाँ,क्यों मैंने इंसान बनाया हैं

जो कहते हैं मेरा भारत देश महान,उनके मुँह पर ये तमाचा हैं
क्यों नही जलाते इन हैवानों को,शायद अभी हर घर की माँ-बेटी को शिकार नही बनाया है।।



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16 AUG 2020 AT 10:36

माना सफर खत्म हुआ हैं उसका,पर कोई ना उसका मुकाम हासिल कर पाएगा
जमाना गुजर गया हैं उसका,पर जिंदा हर जुबान पर उसका फ़साना रह जाएगा

बाईस गज की पट्टी हो या स्टंपिंग पर गिरी गिल्लियां, हर अपील पर उसका हुनर याद आएगा
हारेंगे हम मैच कभी,तब विकेट के पीछे सात नंबर की जर्सी में खड़ा अपना माही याद आएगा

छोटे शहर से निकला क्रिकेट का वो बेताज बादशाह,इस खेल को अलग ही मुकाम दे जाएगा
भले ही ना होंगे मैदान पर चर्चे उसके,पर अब हारे हुए मैच को जिताने मिडिल आर्डर में अपना माही ना आएगा।।

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8 AUG 2020 AT 17:44

फिर किसी की बेटी को दरिंदों ने नोचा होगा
नही गूंजी चीख उसकी, शायद मेरा देश फिर से बिका होगा

उस अकेली शेरनी पर ना जाने कितने भूखे भेड़ियो ने झपटा होगा
दर्द में चिलाई होगी कितने दिन, पर हर बार उसके मुँह को दबोचा होगा

उस बेटी को न जाने कितना तड़पाया, उसकी रूह तक को सताया होगा
बच गई कुछ साँसें उसकी, उन्होंने इंसानियत को भी जलाया होगा

उस बाप पर क्या बीती होगी, न जाने कितने सपनों को उसने संजोया होगा
उस बेटी की हर उखड़ती साँस के साथ,अपने हर सपने को उसने मरता देखा होगा

कैसे बनेगा देश महान,जहाँ नारी की इज़्ज़त का व्यापार होगा
उम्र तक का ना लिहाज़ यहाँ पर,हर दूसरे दिन बलत्कार होगा

बचा लो इंसानियत वरना एक दिन तम्हारी घर की माँ बेटी को भी इन्होंने रुलाया होगा
शर्म करो दरिंदो,तम्हारे घर पर भी किसी न किसी औरत का साया होगा।।



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30 JUL 2020 AT 16:21

मेरी हर खुशी हर गम अधूरा है तुम्हारे बिन
मेरा आज और कल भी अधूरा है तुम्हारे बिन
हर दिन हर पल एक दूसरे की बेइज़्जती करते गुजरे हमारा
मंज़िल मिले ना मिले बस हर सफर में साथ हो तुम्हारा
ज़िन्दगी तो कई बार पलटेगी,पर हर बार तुम जैसे चूतियों का हो सहारा
चलो यारों फिर से मुलाकात करे वहीं पे क्या पता ज़िन्दगी मिले या ना मिले दोबारा।।


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25 JUL 2020 AT 15:38

कोई तो आस पास रहता है,आज कल
कोई तो मेरी परछाई में साथ चलता है,आज कल
शायद तेरे होने का ही साया है कोई
जो ना सुकून से जीने,ना ही मरने देता है,आज कल

कोई तो तेरी यादों के जख्मों को कुरेदता है, आज कल
पर ना जाने कोई और उन्हें महसूस करता है,आज कल
शायद मेरे हर पल में शामिल रहता है कोई
जो मैं खफा रहता हूँ खुद से,पर मुझे रोने भी नही देता है,आज कल।।

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10 JUL 2020 AT 15:42

हिंदुत्व की रक्षा करना धर्म है हमारा
जिहाद के नाम पर ब्यापार करने वालो को मिटाना धर्म है हमारा
अरे बेकसूर को काफिर कह कर मारने वालो
जिस देश की मिट्टी में पले उसमे ही विष घोलना क्या यही धर्म है तुम्हारा।।

जय हिन्द🇮🇳

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3 JUL 2020 AT 12:03

उसकी तो लाख ख्वाइशें हैं,
मुझे तो मेरी हर खुवाईश में चाहिए वो।।

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30 JUN 2020 AT 22:50

दिल का टूटना नही,उसका दिल दुखाना ही काफ़ी था
उसका छोड़ जाना नही,बस रूठ जाना ही काफ़ी था
उसकी यादों में पन्नो पर लिखने चाहे कुछ शब्द तो क्या
शायद इस रकीब को उसने शायर बनाया नही,पर महफ़िल में पन्नो का राख हो जाना ही काफ़ी था।।

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26 JUN 2020 AT 19:22

कही दूर बस्ती का एक दरिया होना चाहता हूँ
भटकी राहों से दूर अपनी मंज़िल की ओर बढ़ना चाहता हूँ
कभी भूला बैठे थे खुद को उसके वास्ते हम
अब उसकी यादों को बहा सकूँ वो एक दरिया होना चाहता हूँ

ना जाने कितने दिन गुजरे इंतज़ार में उसके अब खुद से मुलाकात करना चाहता हूँ
भुलाकर हर लम्हा उसका अब हर लम्हा को जीना चाहता हूँ
फिर किनारे पर ठहर कर उन हवाओं में बहना चाहता हूँ
महसूस ना हो इन हवाओं में खुशबु उसकी इसलिये दूर बस्ती का एक दरिया होना चाहता हूँ।।

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