Priyanshu Mani Tripathi   (प्रेम भार्गव)
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Scholar at , Central University of allahabad,,,💪🏻( pcbian) 👊✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
Joined 14 October 2019


Scholar at , Central University of allahabad,,,💪🏻( pcbian) 👊✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
Joined 14 October 2019
20 MAR 2023 AT 10:50

अपनी नजरों से
नही पाया
कि मैं भी खूबसूरत हूं ।
फिर ,
उन आंखों में ढूंढा
वहां पाया
कि मैं भी खूबसूरत हूं ।
वो आंखे , शायद
दुनिया की
सबसे हसीन आंखे हैं ।
मेरे लिए ,
और शायद मैं उनके लिए
पर वास्तव में
न मै अलग हूं न ही वो आंखे
दोनों वैसे ही हैं
जैसे , सामान्य लोग ,सामान्य आंखे
लेकिन
उन आंखों और मेरे बीच
लगी है प्रेम की चादर
जिससे होकर
हर सामान्य चीज बन जाती है
दुनिया में सबसे खूबसूरत ।

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27 DEC 2022 AT 2:44

अजीब किस्सा है
कबूतर उड़ाते हैं लोग
सबको बताकर
शांति की पहचान बनाकर
मगर ,
कोई नही पूछता
उस अशांति का हिसाब
जो कबूतर के हिस्से आई थी
तब ,
जब पकड़ा गया
जकड़ा गया
पिंजरे में उसको
शांतिदूत बनाकर उड़ाने की खातिर ।

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25 DEC 2022 AT 22:58

किसी ने कहा
ये बेजुबान जानवर
अच्छे होते हैं,
इंसानों से

मुझे लगता है
हर कोई अच्छा होता है ,
जब तक
वो बेजुबान है ,
क्योंकि
अगर सिख जायेगा बोलना ,
तो सिख जायेगा
रोकना ,टोकना और पूछना
फिर शुरू होगा
विरोध ,
जो इंसानों को बुरा बनाता है ।

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18 DEC 2022 AT 10:27

मर जाते हैं लोग
उम्मीदों के मर जाने से,
उम्मीदें ही तो
वैशाखियां होती हैं,
उन लोगों की
जो अपाहिज हो चुके होते हैं
प्रेम में ,
संघर्ष में ,
और टूट चुका होता है जिनका अंतर्मन,
इन्ही वैशाखियों के सहारे
वो चलते रहते हैं ,
आखिर तक
तब - तक ,
जब तक कोई एक जिंदा रहता है,
उम्मीद या वे लोग ।

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22 APR 2022 AT 1:09

खुश रहना ,
कितना आसान होता ?
आदत होती अगर
सबकुछ भूल जाने की।
वो सबकुछ
जिनसे हमारी उदासी है ।
जिंदगी ,
कितनी आसान होती ?
अगर,
हमारे ही बनाए रास्तों से गुजरती ।
लेकिन ,
सच तो यही है कि
हमे बस देखते जाना है
खुद को,
उन कठपुतलियों की तरह
जिनकी डोर होती है
किन्ही और हाथों में ,
जो जीवंत तो लगतीं हैं
लेकिन,
बस तमासों में
उसके बाद
कैद हो जाती हैं
असहाय,घने अंधेरों में
और
बेजान पड़ी रहती हैं
अगले तमाशे तक ।

प्रेम भार्गव ❣️

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28 MAR 2022 AT 8:56

नही मिलेंगी
यादें ,
मेरे डायरी के पन्नो में
मैं,
केवल आज लिखता हूं ।
मैं कल भी न था
और,
कल भी न रहूंगा
मैं आज में हूं
मैं ,
केवल आज दिखता हूं ।

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26 MAR 2022 AT 16:02

मैं नही कहता तुमसे
मरो मेरे लिए
मैं कहता हूं ,
जीने दो
और
तुम भी जियो अपने लिए ।

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25 MAR 2022 AT 10:41

किसी चतुर आदमी ने
कह दिया
गुड़िया ____
ताकि मर जाए चेतना
और खिलौना हो जाएं लड़कियां ।
न हो उनमें इच्छाएं
न कोई विरोध
हर कोई खेलता रहे
अपनी - अपनी मर्जी से ,
जैसे बच्चे खेलते हैं गुड़ियों से ।
और
ढाल सकें उनको
अपने मन के अनुसार
थोप सकें अपनी पाबंदियां
क्योंकि
गुड़िया कभी विरोध नहीं करती ।

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13 FEB 2022 AT 12:35

क्या खुशी क्या गम होता है
ये सब तो हरदम होता है
जितनी सिद्दत से चाहें जिसे
वो हमारा उतना ही कम होता है । — % &

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3 FEB 2022 AT 10:02

जब भी नजर रुकती है आईने पर
एक शख्स दिखता है मुझे हारा हुआ
शिकवा भी नही उसे कातिल से अपने
कमबख्त वो भी है इश्क का मारा हुआ ।

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