Priyanshu Maheshwari   (Priyanshu Maheshwari)
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Joined 1 May 2019


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Joined 1 May 2019
8 DEC 2022 AT 8:53

"धीरे धीरे मैं पागल होने वाला हूं
मैं उसके इश्क़ में फना होने वाला हूं
की मोहब्बत के फ़साने बहुत है मेरे
मैं उसी का इस दफा होने वाला हूं
और कौन पहने वो फूलों वाले हार
मैं ग़ज़ल लिख उसके लफ़्ज़ों का हार होने वाला हूं..."

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19 AUG 2022 AT 16:46

" मन से मन की डोर बांधे, बाटें प्रेम रस का अनुराग
समझो राधा, समझो मीरा को, समझो माया है संसार
कोई कहे कृष्णा, कोई कान्हा, कहे सब बंसी गोपाल
बंद कर आँखें, जोड़ों हाथ, प्रेम से बोलो जय कन्हैयालाल...!!"

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19 AUG 2022 AT 12:43

" इन नशीली आँखों में हया झूम रही है
लिए किसी की कज़ा स्थिर देख रही है..!!"

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13 AUG 2022 AT 20:05

" जुबां पर इश्क के अफसाने नहीं आते
दिल के राज़ दिल से बाहर नहीं आते

अक्सर नींद टूट जाती है रातों में हमारी
आँखो को अभी ख़्वाब सजाने नहीं आते

दिन में बैचेन रात को तन्हाई साथ रहती है
याद मुझे वक्त पर पुराने किस्से नहीं आते

चिंगारी दमक उठती है उसकी अदाएं शबब से
अब आग बुझाने बरसात के बादल नही आते..!!"


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15 JUL 2022 AT 8:06

" दफ़्तर की भागा–दौड़ी से एक दिन चुरा लूं
हो इजाज़त तो तुम्हारे साथ एक शाम बिता लूं
बैचेन हूं ज़िंदगी की उलझा – उलझी से
चलो! ख़्वाब में सही तुम्हारे साथ एक पल सज़ा लूं..."

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13 JUL 2022 AT 23:21

" वो Engineer Civil की मैं मज़दूर Tools का
फिर भी फासले जैसे ज़मीन आसमान का...!!"

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13 JUL 2022 AT 8:12

" ये कैसा खुमार है और मैं किस विचार में हूं
वो आ कर ठहरी हुई है और मैं अभी भी इंतज़ार में हूं...

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30 JUN 2022 AT 15:35

" उसकी अदा–ए–शब को देखकर बादल गरजने लगते है
पिघलते है यूं उसके बालो को छूने के बरसने लगते है..!!"

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30 JUN 2022 AT 14:30

" इंसान  के  जज़्बातों  का  सैलाब  है  आँखें
  कभी  आग  कभी  शबाब  अंगार  है  आँखें

  आँखों  से  गहरा  कोई  समुन्दर  नही  होता
  डूबता  है  बशर  जिसमे  वो  विशाल  है  आँखें

  लबों  से  शब्दों  की  हक़ीक़त  कुछ  कह  नहीं  पाते
  खुलासा  करे  सच – झूठ  का  वो  ज़ुबान  है  आँखें

  रंग–रूप, सही–गलत, अच्छा–बुरा  सब  फरेब  है
  इंसान  के  स्वरूप  की  कहानी  पहचान  है  आँखें..!!"

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30 JUN 2022 AT 14:29

" इंसान  के  जज़्बातों  का  सैलाब  है  आँखें
  कभी  आग  कभी  शबाब  अंगार  है  आँखें

  आँखों  से  गहरा  कोई  समुन्दर  नही  होता
  डूबता  है  बशर  जिसमे  वो  विशाल  है  आँखें

  लबों  से  शब्दों  की  हक़ीक़त  कुछ  कह  नहीं  पाते
  खुलासा  करे  सच – झूठ  का  वो  ज़ुबान  है  आँखें

  रंग–रूप, सही–गलत, अच्छा–बुरा  सब  फरेब  है
  इंसान  के  स्वरूप  की  कहानी  पहचान  है  आँखें..!!"

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