अच्छा लगने लगा हैं तुमसे बात करना अकेले तन्हा होने पे मुस्कुरा के याद करना मैं पहला परिंदा होगा जो कैद रहना चाहता हैं नहीं चाहता हूं मैं खुद को आजाद करना किस बात से रोक रखा हैं खुद को तुमने अब क्या बचा हैं जो सोच विचार करना ये दिल मेरा हो के भी तुम्हारे नाम पे धड़कता हैं अब बताओ मैंने इस दिल का क्या करना हर जगह खड़ा था तन्हा अकेला मैं अब चाहता हूं तुम्हारे साथ चलना एक नया इंसान दिखता हैं मुझे अपने आप में अब अब इसकी शिकायत में वक्त क्यूं बर्बाद करना कैसे कहूं तुम्हें समझ नहीं आता मोहब्बत तो करली पर सिख नहीं पाया उसका इज़हार करना !!
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A not so consistent writer ✍️
Don't judge me with my writings... read more
ये मौसम ये हवाएं अपना रुख बदल भी ले तो कोई गम नही क्योंकि जब तुम साथ हो तो हर मौसम सुहाना लगता हैं !!
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क्यों किसी से उम्मीदें लगा रखी हैं। क्यों सोए नहीं क्यों रातें जगा रखी हैं। क्यों किसी के इंतज़ार में आंखों को तकलीफ़ दी तुमने क्यों ख्वाबों के डर से नींदें भगा रखी है...
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बेटियां घर में संगीत की तरह है जब बोलती बिना रुके तो सब कहते है चुप भी कर जाओ जब खामोश रहती है तो मां कहती हैं तबियत ठीक है ना पापा कहते घर में खामोशी क्यूं है भाई कहता है नाराज हो क्या जब शादी कर दी जाती सब कहते है घर की रौनक चली गई सच में बेटियां न रुकने वाला संगीत है...
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मुझे अब नींद की तलाश नहीं अब रातों को जागना अच्छा लगता हैं मुझे नहीं मालूम की तुम मेरी किस्मत में हो या नहीं मगर खुदा से तुम्हें माँगना अच्छा लगता हैं जाने मुझे हक़ हैं या नहीं। पर तुम्हारी अपनी जान से ज्यादा परवाह करना अच्छा लगता हैं तुम्हें प्यार करना सही हैं या नहीं पर इस एहसास को जीना अच्छा लगता हैं कभी हम साथ होंगे या नहीं पर ये ख़्वाब देखना अच्छा लगता हैं तुम मेरे हो या नहीं पर तुम्हें अपना कहना अच्छा लगता हैं दिल को बहलाया बहोत पर मानता ही नहीं शायद इसे भी तुम्हारे लिए धड़कना अच्छा लगता हैं....
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मैं तो फिर भी गले लगाने को तैयार हूं तुम्हे ये जानते हुए भी की लोग मर रहे है हाथ मिलाने से...
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कदर भी थी तेरे होने की तेरे ना होने का ऐहसास भी है टूट गई है उम्मीदें साथ जीने की पर फिर मिलने की आस भी है चलो हम तो कर ही देंगे मैसेज हार कर मगर यार मोबाइल तो तुम्हारे पास भी है....
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मेरे वज़ूद की कहानी वो मेरे सर पे जिसका साया हैं माँ तुझसे ये दुनिया मेरी तुझसे ही जीवन पाया हैं हर एहसास तुझसे ही जाना मैने इस जहाँ में आके है कर्ज़दार उसका ये बेटा दूध जो तूने पिलाया हैं पहला लफ्ज़ तू बनी मेरे जीवन का खुदा के करम से पकड़ मेरे हाथों को मुझे संभलना सिखाया हैं मेरे एक छींक पे तड़पना तेरा कितनी रात तू सोई नहीं खुद को जला दोपहर भर तेज धुप से बचाया हैं हूँ आज मैं अपने क़दमों पे जहाँ को पार कर के हूँ पर तेरे क़दमों में जिससे हर सीख को पाया हैं तेरी ममता का प्यासा हूँ लुटा दे मुझपे सच्चा प्यार पूजता हूँ तुझे ऐसे की भगवान की जगह बिठाया हैं है दुआ ऊपर वाले से अगर वो इस जहाँ में कही है रखे सदा खुश उसे जिसने मुझे दुनिया में लाया हैं मेरे वज़ूद की कहानी वो मेरे सर पे जिसका साया हैं माँ तुझसे ये दुनिया मेरी तुझसे ही जीवन पाया हैं....
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इस इश्क़ के इंतेज़ार
कि घड़ी कभी थमी नहीं
जो इश्क़ था वो रेत की
भाँति इन हाथों से निकल गया
मैंने अपनों को ही दूर जाते देखा
उसे थामने की कोशिश तो करी पर
उसके साये ने भी एक बार
पलट कर नहीं देखा....-