तंग क्या है?
समय जो गया वो,
समय जो है अब,
या फिर समय जो है बाक़ी,
गए समय का माप नहीं,
वर्तमान का कोई मिलाप नहीं,
आते समय के मन का युद्ध,
या स्वयं से की हुई प्रतिज्ञाओं का उत्तर
क्या है तंग?
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धधकती ज्वाला को चाहिए और क्या?
शांत है मन,
आक्रोश में लिपटा संसार,
पर उसपे गिरते हुए बादलों से मोती,
शांत है मन।
उफनती लहरें भी शांत है,
तट की दीवारों से टकरा कर,
सागर की कठिन यात्रा के पश्चात,
उन्हे भी चाहिए है क्या?
शांत है मन।
भयभीत करने वाली परिथितियो को जी कर,
भय पे विजय प्राप्त हो यदि,
तो संसार में और चाहिए है क्या?
शांत है मन,
समंदर किनारे, तट से टकराती लहरें,
लहरों की सारी नौकाएं भी शांत है,
नाविक भी प्रसन्न हैं, प्रश्न अनंत हैं,
किंतु शांत है मन।
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काफी बेहतर है,
बर्बादी के नजारे,
बजाय धुएं के सपनो से,
बजाय जुदा अपनों से।-
वो कहते हैं इश्क का दस्तूर है,
ये खुद ही आता है, खुद ही जाता है,
पर हमे तो सबब ऐसा मिला है,
न वो दिल से जाता है, न दिल किसी पे आता है।-
यः सर्वत्रानभिस्नेहस्तत्तत्प्राप्य
शुभाशुभम् ।
नाभिनन्दति न द्वेष्टि
तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता ॥-
कहां भाग रहे हैं हम?
5 दिनों का शोर, 2 दिन के सन्नाटे,
आखिर कहां भाग रहे हैं हम?
कफन उतना ही है, हैसियत उतनी ही है,
औकात उतनी ही है,
फिर आखिर, कहां भाग रहे हैं हम???
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अभी तो सामने ही थे,
बस चंद कदमों की दूरी रह गई,
सपनो की, और अपनो की,
अपनो को सपना समझा, सपनो को अपना समझा,
काफी करीब ही तो थे,
फिर भी अधूरी रह गई,
अभी तो सामने ही थे,
बस चंद कदमों की दूरी रह गई-
अपनी नाकामियों को गलती मानकर,
एक वजह बनाते रह गए,
वो महलों में बस लिये,
हम बस घर ही बनाते रह गए।-
गहराई हो चुकी है काफी, जो निशान है उन्हे यू ही रहने दो,
आबाद रहो तुम और ख्वाब तुम्हारे, हमे बस आवारा, बरबाद ही रहने दो।-
जाली दुनिया में जली जो जहर बुझी शक्सियतें,
अब हिम्मत ना बची एक और जहर बुझा तीर झेलने की,
ऐ दिल बुजदिल, करीब लाने को कोशिश न कर,
तुझे आजमाना है तो आजमा ले मेरा जहर आ कर।-