Priyanshi Pandit   (Soul)
631 Followers · 511 Following

read more
Joined 23 May 2020


read more
Joined 23 May 2020
27 JAN 2022 AT 22:10

If opportunity
doesn't knock,
build a door. — % &

-


29 NOV 2021 AT 23:45


भीतर क्यों भरी उदासी है
ये भरी नदी क्यों प्यासी है
हर बार दिशा सुलझाएगा,
ये जीवन गंगा काशी है ।
नाव भले मझधार में हो,
नाविक कब इसको झुकता है।
जीवन गिरता उठता है,
जीवन गिरता उठता है

-


27 OCT 2021 AT 10:08

स्वतंत्रता तो है.... मगर
भावनात्मक गुलामी का क्या कीजिएगा।। 😃

-


12 JUN 2021 AT 10:07

मूबाईल नाम इक बला महाना।
ताके संग हर मनुष रिझाना।। 1।।
जब स्थिर पांव त दउडे़ हांथा।
तब घर वालेन से टूटै नाता।। 2।।
सब अइसे घुस-घुस खोजई भइया।
जस रामहि मिलंय न सीता मइया।। 3।।
ध्यान धरै जब आसन्हि लीना।
भूलै खाना भूलै पीना।। 4।।
कान समान अस जान पड़ै।
जस बहिरे बाबा होए खड़े।। 5।।
मौसम का कौनो भान नहीं।
न पाला जानै,न ही बारिश,न गर्मी का कौनो ज्ञान रही।6।
वाह वाह! का रचना पाई।
सब बोलो जय मोबाइल कि भाई।। 7।।


-


1 JUN 2021 AT 8:17

कि.. मैं थोड़ा सा ठिठक जाता हूं
जब मैं अपने जीवन को...
मृत्यु के सत्य के निकट तक लाता हूं
कि जब मैं इस संसार से जाता हूं
तो मैं...मेरे जाने के बाद... क्या छोड़ पाता हूं,
हां,मेरा अस्तित्व मै अपने साथ मोड़ ले जाता हूं
किन्तु,क्या मै अपने व्यक्तित्व की....
तनिक सी छाप छोड़ पाता हूं
अपने आपको जब इस वहम से घिरा पाता हूं
तो हां...काफी हद तक मैं सहम जाता हूं

-


21 APR 2021 AT 8:08

तूफानी लहरें हों, अम्बर के पहरे हों,
पुरुवा के दामन पर दाग बहुत गहरे हों,
सागर के मांझी, मत मन को तू हारना,
जीवन के क्रम मैं जो खोया है पाना है.
पतझर का मतलब है, फिर बसंत आना है.

राजवंश रूठे तो राज मुकुट  टूटे तो
सीतापति राघव से राजमहल छूटे  तो
आशा मत हार,
पर सागर के एक
बार
पत्थर मैं प्राण फूंक सेतु फिर बनाना है
अंधियारे के आगे, दीप फिर जलाना है 
पतझर का मतलब है, फिर बसंत आना है.

            - कुमार विश्वास

-


17 APR 2021 AT 21:47

मैंने लहू के कतरे मिट्टी मे बोए हैं
खुशबू जहां भी है, मेरी कर्जदार है
ऐ वक्त ! होगा तेरा मेरा हिसाब
मेरी जीत.. जाने कब से तुझ पर उधार है
- मनोज मुंतशिर

-


8 JAN 2021 AT 21:11

मन ही दुविधा
मन से ही सुविधा
मन भिन्न मतों..
की झाकी है..
जीवन रूपी..
मधुशाला में...
मन ही सबका...
साकी है

-


7 JAN 2021 AT 19:14

मदिरालय में कब से बैठा, पी न सका अब तक हाला,
यत्न सहित भरता हूँ, कोई किंतु उलट देता प्याला,
मानव-बल के आगे निर्बल भाग्य, सुना विद्यालय में,
'भाग्य प्रबल, मानव निर्बल' का पाठ पढ़ाती मधुशाला।।

-


28 DEC 2020 AT 18:51

बिना किसी खुशी के भी... मै हंसने लगी हूं
हां शायद मैं! अपने आप को समझने लगी हूं

-


Fetching Priyanshi Pandit Quotes