If opportunity
doesn't knock,
build a door. — % &-
मेरे सफर के हमराही
मैंने तुझे चुना
तूने मेरा जिक्र किया
इस बात के लिए
तहे दिल... read more
भीतर क्यों भरी उदासी है
ये भरी नदी क्यों प्यासी है
हर बार दिशा सुलझाएगा,
ये जीवन गंगा काशी है ।
नाव भले मझधार में हो,
नाविक कब इसको झुकता है।
जीवन गिरता उठता है,
जीवन गिरता उठता है
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स्वतंत्रता तो है.... मगर
भावनात्मक गुलामी का क्या कीजिएगा।। 😃-
मूबाईल नाम इक बला महाना।
ताके संग हर मनुष रिझाना।। 1।।
जब स्थिर पांव त दउडे़ हांथा।
तब घर वालेन से टूटै नाता।। 2।।
सब अइसे घुस-घुस खोजई भइया।
जस रामहि मिलंय न सीता मइया।। 3।।
ध्यान धरै जब आसन्हि लीना।
भूलै खाना भूलै पीना।। 4।।
कान समान अस जान पड़ै।
जस बहिरे बाबा होए खड़े।। 5।।
मौसम का कौनो भान नहीं।
न पाला जानै,न ही बारिश,न गर्मी का कौनो ज्ञान रही।6।
वाह वाह! का रचना पाई।
सब बोलो जय मोबाइल कि भाई।। 7।।
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कि.. मैं थोड़ा सा ठिठक जाता हूं
जब मैं अपने जीवन को...
मृत्यु के सत्य के निकट तक लाता हूं
कि जब मैं इस संसार से जाता हूं
तो मैं...मेरे जाने के बाद... क्या छोड़ पाता हूं,
हां,मेरा अस्तित्व मै अपने साथ मोड़ ले जाता हूं
किन्तु,क्या मै अपने व्यक्तित्व की....
तनिक सी छाप छोड़ पाता हूं
अपने आपको जब इस वहम से घिरा पाता हूं
तो हां...काफी हद तक मैं सहम जाता हूं-
तूफानी लहरें हों, अम्बर के पहरे हों,
पुरुवा के दामन पर दाग बहुत गहरे हों,
सागर के मांझी, मत मन को तू हारना,
जीवन के क्रम मैं जो खोया है पाना है.
पतझर का मतलब है, फिर बसंत आना है.
राजवंश रूठे तो राज मुकुट टूटे तो
सीतापति राघव से राजमहल छूटे तो
आशा मत हार,
पर सागर के एक
बार
पत्थर मैं प्राण फूंक सेतु फिर बनाना है
अंधियारे के आगे, दीप फिर जलाना है
पतझर का मतलब है, फिर बसंत आना है.
- कुमार विश्वास
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मैंने लहू के कतरे मिट्टी मे बोए हैं
खुशबू जहां भी है, मेरी कर्जदार है
ऐ वक्त ! होगा तेरा मेरा हिसाब
मेरी जीत.. जाने कब से तुझ पर उधार है
- मनोज मुंतशिर-
मन ही दुविधा
मन से ही सुविधा
मन भिन्न मतों..
की झाकी है..
जीवन रूपी..
मधुशाला में...
मन ही सबका...
साकी है
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मदिरालय में कब से बैठा, पी न सका अब तक हाला,
यत्न सहित भरता हूँ, कोई किंतु उलट देता प्याला,
मानव-बल के आगे निर्बल भाग्य, सुना विद्यालय में,
'भाग्य प्रबल, मानव निर्बल' का पाठ पढ़ाती मधुशाला।।-
बिना किसी खुशी के भी... मै हंसने लगी हूं
हां शायद मैं! अपने आप को समझने लगी हूं-