वो हाले दिल जान कर भी,
हर बार अनजान सा बनता है !
अनजान वो अनजान मैं,
फिर भी हर पल अपना सा लगता है !
मैं उसे कहूँ भी तो कैसे कहूँ,
दोस्त है या दोस्ती से बढ़ कर लगता है !
जरूरत तो नहीं पर जरूरी सा लगता है,
ये रिश्ता उससे कुछ अलग सा लगता है !-
मन तो बावरा परिंदा है
जो छोड़ा इसे खुला
तो बहुत दूर उड़ जाना है
जो मानी मन की बात
तो कहीं ना कहीं फस जाना है-
उनको अपना मानती हूँ
एक मैं ही हूँ जो
उन पर फ़िदा हुई हूँ
एक मैं ही तो हूँ जो
विश्वास कि डोर थामे हुई हूँ
एक मैं ही हूँ जो
उनके बिना नहीं रह पाती हूँ-
खुली किताब की तरह हूँ मैं,
कोई गहरा राज नहीं है !
और हाँ मेरा ये सावला रंग,
किसी मेकअप का मोहताज नहीं है !😊-
उसकी यादें ही तो हैं जो सोने नहीं देती हमें
बहुत कुछ दफना रखा था इस सीने में
ये उसका धोखा ही तो हैं
जो शब्दों में बया कराया हमसे
पास आकर भी दुरी बनायी हैं हमसे
ये उसकी यादें ही तो हैं जो लिखवाती हैं हमसे-
अक्सर मुझसे कहता हैं वो,
दूर हो कर मुझसे बहुत रोया हैं वो...
पास से गुजरा था वो,
मेरा हाल तक ना पूछा...
तो मैं कैसे मान लूँ ,
कि अकेले में बहुत रोया हैं वो...-
भुला दिया था मैंने उसे,
फिर भी दिल में उसी का ख़याल आया हैं !
पता हैं मुझे कि वो गलत हैं,
फिर भी दिल उसे सही मानता हैं !
यूँ ही दिल में ख़याल आया हैं
आज देखा मैंने उसे किसी और का होते हुए,
फिर भी दिल उसे अपना मानता हैं !
आज फिर से दिल में उसका ख़याल आया हैं !-
अब मैं अक्सर उसे देख,
अपनी नजरें फेर लेती हूँ...
जिसे देखनो को दिल,
हमेशा बेकरार रहता है...
फिर खुद को समझा लेती हूँ...
कि जो कभी अपना था,
अब वो अपना रहा ही नहीं है...
बस यही सोचकर,
अपने कदम आगे बढ़ा लेती हूँ...
अब मैं अक्सर उसे देख,
अपनी नजरें फेर लेती हूँ...-