अंतर्मन से लड़ती हूं मैं,
दुविधाओं में फंसती हूं मैं
मन वाणी और कर्म सभी में
कुछ अंतर कर देती हूं मैं
अंतर्मन से लड़ती हूं मैं।।
साहस करती कदम बढ़ाती
कुछ निर्णय ले अडिग हो जाती
अपने मन पर संयम पाती
भावनाओं के मायाजाल से
अपने मन को मुक्ति दिलाकर
तार्किक निर्णय लेने की
बहुत ही कोशिश करती हूं मैं
अंतर्मन से लड़ती हूं मैं।।
मन की दुविधाओं में फंसकर
हंसकर रोकर कुछ व्याकुल होकर
कितने की आगत अवसर को
यूं ही खो देती हूं मैं
अंतर्मन से लड़ती हूं मैं।।
जीवन की इस जटिल धार में
विचारों के तीक्ष्ण प्रवाह में
स्वप्नों की नैया मैं बैठी
बाधाओं के विशद सिंधु की
ऊंची ऊंची हिलोरों को
साहस की पतवारों से
नित पार पहुंचने की कितनी ही
कोशिश करती रहती हूं मैं
दुविधाओं में फंसती हूं मैं
अंतर्मन से लड़ती हूं मैं।।।
- प्रियांशी गोस्वामी🍁-
तुम्हें सोचूं ,तुम्हें पूजूं , तुम्हें मानूं , तुम्हे ध्याऊं
तुम्हारा साथ पा लूं तो ये दुनिया छोड़ आऊं मैं
मेरे ईश्वर , मेरे अल्लाह, मेरे मालिक, मेरे मौला
जहां पर तेरा सुमिरन हो वहीं चित्त को लगाऊं मैं
तुम्हारे नाम को रटती एक एक पल बिताऊं मैं
तुम्हारे नाम को अपनी सांसों में बसाऊं मैं
तुम्हारे नाम से खोलूं नयन , तुम्हारे दीद से मूंदू
तुम्हें हृदय में बसाऊं मैं, तुम्ही से प्रीत मैं जोडूं
तुम्हारा नाम लेकर के हर एक बाधा हराऊं मैं
तुम्हारे नाम की ज्योति से हर तम मिटाऊं मैं
तुम्हारे चरण रज को उठा मस्तक लगाऊं मैं
तुम्हारे नाम के मोती को श्वासों में पिराऊं मैं
तुम्हें बस जीत जाऊं मैं बाकी सब हार जाऊं मैं
तुम्ही से संगीत हो मेरा तुम्ही से सुर सजाऊं मैं
तुम्हीं से ताल हो मेरी मधुर झंकार हो तुमसे
तुम्हारे नाम की वीना में अपना राग गाउं मैं
तुम्हें सोचूं,तुम्हें पूजू,तुम्हें मानूं,तुम्हें ध्याऊं,
तुम्हारा साथ पा लूं तो ये दुनिया छोड़ आऊं मैं-
When things go wrong and time seems less
When heart aches most and life gets its pace
When time starts slipping just like sand
When nothing goes right and everything's out of hand
When the regrets of past moulds your back
When all the grieves have burdened your heart's sack
When hope is shattered there on the floor
When darkness goes deep into your core
When life seems tough ,your soul wants to cry
When things going worse & you've given all your try
Stop for a while and have a look at your back
There's so much you've done and so much is left
This is just a journey not your destination
Dream Dream Dream ,don't stop imagination
Gather your strength
Run your life fast, faster ,fasted
No matter what
don't forget ""Why you've started ??""
Don't forget "Why you've started ?"
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My intutions ,my heart ,and my lord
Every step I take
My heart gives me courage
My intutions gives me strength
My lord gives me wisdom-
गुमसुम से रहते हैं
ये बागों की कलियां
ये फूल ये पत्ते
ये शाखों के पंछी
नदिया का पानी
लहराता बादल और
सागर की रवानी
सब ख़ामोश हैं
कभी खिलकर मुझसे बात करते थे
सुनाते रहते थे कोई किस्सा कई कहानी।।
-
Insecure with the uncertainities of tomorrow,,
Thinking bout the breathes you've borrowed,,
The pain of yesterday piercing you like an arrow,,
You want to walk ,
You want to run
But they've made your way so narrow.
Getting affected by the thoughts of those
Whose minds are shallow,
Leave them there ,
Get out from the room,
Hear the voice ,,saying you can bloom
You are enough and a flow,
You are wind and you can blow,
Just break the sleep and check out Darling,,
Wake up & look The LIFE is calling ...
Wake up & look The LIFE is calling....
Priyanshi Goswami 🍁-
कहता तारे चुन लूं
या चांद तोड़कर लाऊं क्या?
मन कहता आकाश में जाकर फिर ज़मीन पर आऊं ना।।
मन कहता सागर में उतरूं
कुछ मोती चुन लाऊं क्या??
या सागर को मुट्ठी में भर पी जाऊं ज़रा।।
मन सोचे की पंख लगा लूं
पंछी के संग उड़ान भरूं
किसी वृक्ष की किसी डाल पर
लहराता सा पात बनूं
मन कहता कि तितली के रंगों में मैं भी खो जाऊं
कभी सोचता इन्द्रधनुष सा सतरंगी मैं हो जाऊं
मन कहता कि इस दुनिया को छोड़ कहीं चला जाऊं
फिर कहता मरने से पहले अपनी पहचान बना जाऊं
मन कहता एक पल ना रुकूं बस चलता सा मैं जाऊं
मन कहता मां की गोदी में सिर रख बस मैं सो जाऊं
मन मुझे क्या कहता रहता, बात उसकी क्या ही करूं
मन तो है जी बावरा सा इस बावरे की क्या सुनूं
अंकों वाली उम्र में अब सब बड़े जो हो गए
ये तो है बच्चा बना ,इस बच्चे का अब मैं क्या करूं
हां मगर इस बच्चे को ना तुम कभी भी मारना
भीग लेना, गर ये चाहे बारिशों में भीगना
इसकी सुनना भी जरूरी है शहर के शोर में
मैंने सुना है कि जरूरी है जी इसका मानना
मानने से इसके तय होता हमारा जीतना या हारना।।।-
रोशन से चिरागों के तले एक तम सा दिखता है
मकड़ी मर गई लेकिन कोई जाला बुनता दिखता है
हवा - ओ - आव में अब ताजगी होती नहीं महसूस
कि दरख़्तो से अब ज़हर उगलता सा दिखता है
गईं सदियां की जब एक दूजे को समझा किया करते थे लोग
अब तो यहां हर शख़्स अपने आप में उलझा सा लगता है-
गिरकर उठना,उठकर गिरना ,ठोकर खा कर फिर भी हंसना
ये बात तुझे समझानी है ,किसी और की मत राहें तकना
तुझे खुद अपनी राह बनानी है ।।-
रिश्ते को ना छोड़ देना चाहिए ठीक वैसे ही जैसे छोड़ दिया जाता है पंछियों को उन्मुक्त गगन में उड़ने के लिए...... और उनका इंतजार करना चाहिए ठीक वैसे ही जैसे वो डाल किया करती है जिसपर उन पंछियों ने कभी नीड़ बनाए थे,,,उस डाल को विश्वास रहता है कि दिनभर की ऊंची ऊंची उड़ान भरने के बाद ,,शाम ढलते ही पंछी वापिस जरूर आएंगे।।।।।।
पर अगर वापिस पंछी ना आए तो समझ लेना चाहिए कि उसने अपना ठिकाना शायद कहीं और ढूंढ़ लिया है,,,शायद उसे अब उस डाल की जरूरत नहीं,,,,ठीक उसी डाल की तरह,, ऐसे ही उस रिश्ते को भी भुला देना चाहिए,,,और देना चाहिए आश्रय किसी और पंछी को........
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