उन पन्नों पर, तुम्हारे नाम के सिवा कुछ था नहीं। इन पलकों पर, तुम्हारे सिवा कभी कोई बैठा ही नहीं। आंखों के गरजते बादलों से, तुम्हारे सिवा कभी कुछ बरसा नहीं। बेजुबान दिल के अंधेरे में, तुम्हारे सिवा कभी कोई चमका ही नहीं।
क्या करें जब हौसला गिर के, हमारे ही अश्कों के डरिए में गोते लगा रहा हो। क्या करें जब जग का शोर, हमारे जज्बे से खिलवाड़ कर रहा हो।
अंधेरे ने चारों ओर ताला ठोका हो, और सहारे ने अलविदा कह दिया हो।
ऐसा हो नही सकता की, अंदर से टूट न जाऊं। ऐसा तो हो ही नही सकता की, तन्हाई में और गहराती न जाऊं।
लेकिन रूह को पता हो, की आशाओं की कभी कमी नहीं। दलदल में भी घुस कर, उम्मीदों की कोई कमी नहीं। तो, मूक हो कर झेल जाऊं सब मैं, बाड़ इन संघर्षों की तैर जाऊं मैं...!
Over me, let the grief rain. Just stay close, And watch me mourn in vein. No-one can do anything, My wounds, let me contain. What I deserve for my actions, Let me attain... Just let me stay in pain!