Priyanshi  
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Joined 10 November 2020


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Joined 10 November 2020
24 MAY 2021 AT 10:02















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22 MAY 2021 AT 9:38

उन पन्नों पर,
तुम्हारे नाम के सिवा कुछ था नहीं।
इन पलकों पर,
तुम्हारे सिवा कभी कोई बैठा ही नहीं।
आंखों के गरजते बादलों से,
तुम्हारे सिवा कभी कुछ बरसा नहीं।
बेजुबान दिल के अंधेरे में,
तुम्हारे सिवा कभी कोई चमका ही नहीं।

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19 MAY 2021 AT 9:36

सवेरे की लाली
हाथ में घेरे,
मैं उड़ जाती हूं,
ऊर्जा का घूंट गटके।

किरणों की भाप
आंखों में उतारे,
मैं सांसे भर जाती हूं,
उम्मीद की परिभाषा पढ़े।

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14 MAY 2021 AT 11:15

क्या करें जब हौसला गिर के,
हमारे ही अश्कों के डरिए में गोते लगा रहा हो।
क्या करें जब जग का शोर,
हमारे जज्बे से खिलवाड़ कर रहा हो।

अंधेरे ने चारों ओर ताला ठोका हो,
और सहारे ने अलविदा कह दिया हो।

ऐसा हो नही सकता की,
अंदर से टूट न जाऊं।
ऐसा तो हो ही नही सकता की,
तन्हाई में और गहराती न जाऊं।

लेकिन रूह को पता हो,
की आशाओं की कभी कमी नहीं।
दलदल में भी घुस कर,
उम्मीदों की कोई कमी नहीं।
तो,
मूक हो कर झेल जाऊं सब मैं,
बाड़ इन संघर्षों की तैर जाऊं मैं...!

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10 MAY 2021 AT 9:09

Behen yaar jaldi bhaag warna van ki window seat nahi mil paayegi, phir naha lena tu paseene se...!

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9 MAY 2021 AT 10:01

मेरी डगमगाती नाव का छोर हो तुम,
मेरी मूक रूह का शोर हो तुम..!

प्रिय मातृ दिवस

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8 MAY 2021 AT 10:45

सवेरे की महफिल का तो,
क्या ही कहना।
उजाले के साथ,
उम्मीद भी लाती है।
रात के सपनो को,
पूरा करने की ऊर्जा भी लाती है।

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7 MAY 2021 AT 9:47

Sheer pain,
Fierce hollowness.
Emotionally drained,
And a strange consciousness...

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4 MAY 2021 AT 9:28

मुझसे नहीं मिलने आती, जुल्फें अब तेरी।
बिन मुलाकात सूनी है, कायनात ये मेरी।

जिन्हे पकड़ सोता था मैं,
उंगलियां वो तेरी।
बिन पकड़े अब धुंधली हो गई हैं,
हाथों की लकीरें मेरी।

नींद रोज धोखा दे जाती है, तेरी तरह।
रात भी इतनी जल्दी बीत जाती है, तेरी तरह।

अब यार मेरा ऐसा ना कोई,
जिसको यार कह सकूं।
अब लम्हे भी नहीं बचे ऐसे कोई,
जिन्हे याद कर जी सकूं।

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2 MAY 2021 AT 11:05

Over me, let the grief rain.
Just stay close,
And watch me mourn in vein.
No-one can do anything,
My wounds, let me contain.
What I deserve for my actions,
Let me attain...
Just let me stay in pain!

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