Priyansh singh   (꧁🅿️®️ℹ️🆈️@ℕ🆂🇭꧂)
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अभी तो हम उन्हें देखकर मुड़े ही थे
लगता है उन्हें देखे एक जमाना बीत गया
Joined 13 March 2020


अभी तो हम उन्हें देखकर मुड़े ही थे
लगता है उन्हें देखे एक जमाना बीत गया
Joined 13 March 2020
24 JUN 2022 AT 9:18

वो जिसके करीब था
उसके लिए कोई दूसरा अजीज था
ये धोखा सरेआम चलता है

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23 JUN 2022 AT 8:34

हमसे नफरत करना इतना भी आसान नही
तप्ती भटटी में खुद को जलाना पड़ता है

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23 JUN 2022 AT 8:28

खोया खोया सा रहता हूँ
लगता है मै किसी के प्यार में हूँ

हटती नही नजरें रास्ते से
लगता है किसी के इंतज़ार में हूँ

खामोशी से रहता हूँ
दिल फिर भी शोर करता है
लगता है भरे बाज़ार में हूँ

पाओं जलते नही भरी धूप में भी
लगता है किसी की जुल्फों के
साये के अंधकार में हूँ

चन्द दिन बाकी है ज़िन्दगी के
लगता है मै खुद की मजार में हूँ

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18 OCT 2021 AT 8:38

रुको ठहरो बैठो बात जमाने पहले की है
सुबह दोपहर शाम की ये चाय
गली नुक्क्ड़ गाँव हर शहरों की है

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14 OCT 2021 AT 11:38

दर्द है तो मरहम भी कहीं मिला होगा
युहीं सुकून के ये पल हमने जीये न होते

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8 OCT 2021 AT 13:42

जागना भी कबूल है तेरे जगराते में माँ
तेरी भक्ति में जो सुकून है वो नींद में कहां.....

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7 OCT 2021 AT 23:58

तेरे कदमो को रोक क्या साजिश रची खुदा ने
यूँ नजरों का मिलना बेवजह तो नही था
उस बिल्ली का रास्ता काटना एक इत्तेफाक था
या तेरा मेरा मिलना खुदा का कोई बहाना था
मेरी गली से तुम यूँही गुजर रहे थे
या मुझसे मिलने मेरे घर ही तुम्हे आना था
Love U Priye...

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5 OCT 2021 AT 4:27

कितनी ही रातों का इंतज़ार है
तेरा मेरा ये इश्क़ प्रिये ....
जी करता है ये एक और रात
तेरे इंतज़ार में गुज़ार दूँ .....

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26 SEP 2021 AT 12:21

मिले हैं तुमसे तो जाना
अब ये अहसास अजनबी सा है
चले है उस राह पर तो जाना
मिला सुकून अजनबी सा है...

झुकायी जब पलके उसने तो जाना
आँखों का सैलाब अजनबी सा है
सोचा रुक कर जाने उसे तो जाना
ये ख्वाब अब अजनबी सा है...

बैठें रहे उस महफिल में तो जाना
वो साज अजनबी सा है
क्या बताएं अब प्रिये तुम्हे तुम्हारा ये
मनमोहक अंदाज अब अजनबी सा है.....

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11 JUL 2021 AT 10:00

मेरी मंजिल मेरे सामने रहती है
कदम बढ़ नही पाते उधर आजकल
हम काम मे इतने क्यों मशरूफ रहते है

ये हवा न जाने किसी ओर गली क्यों बहती है
कभी वो शांत रहती है
कभी मेरी खुशियां उसकी आंखों से बहती है
न जाने कोनसी कशिश है दिल मे उसके
जब सामने आती है

उसकी नज़र मेरे चेहरे पर रहती है
हम देख कर उसे सहमे रहते है
वो न जाने क्यों मुस्कुराती रहती है
आजकल वो रास्ते भी सुनसान से है
उन्हें भी मेरी कहानियों की तलाश रहती है

चलो चलते है उन गलियारों में फिरसे
जहां मेरी महबूबा मेरी राह ताकती रहती है
जिसके दिल मे आज भी मेरे आने की आस रहती है
हम ही दूर से लगते है उन्हें
वो तो हरपल मेरे पास रहती है
मेरी मंजिल मेरे सामने रहती है

दिल से पुकारे तो वो हमें
मेरी हर याद तो उसके ही साथ रहती है
मेरी धड़कन तो उसके दिल मे ही रहती है
न जाने उसके मन मे ये संका क्यों रहती है
मेरी जिंदगी मेरी मंजिल तो मेरे सामने ही रहती है......




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