हाथ मे कलम लिए अपने इश्क़ को निहाल करने बैठी हूँ
आज फिर तेरी याद में एक और रात निसार करने बैठी हूँ-
फूलों जैसा जीवन है
जबतक खिले और सुगंदित रहोगे
लोगों के साथ रहोगे
जिस दिन मुरझा गये
पैर तले कुचल दिये जाओगे-
आजकल धागे सी उलझी रहती हूँ
सुलझाने आओगे क्या
आजकल काँच सी बिखरी रहती हूँ
समेटने आओगे क्या-
जब याद तुम्हारी आती है
हाथ में क़लम लिए तुम्हारी कहानी लिखने बैठ जाती मैं
पर नादान... यह नहीं समझ पाती मैं
पन्ने पर बस नाम तुम्हारा होता है
पर कहनी मेरी होती है-
बेशक नाम में एक हो पर स्वाद में अनेक हो तुम
चासनी जैसी मीठी हो या फिर रहो थोड़ी फीकी तुम
अदरख जैसी कड़क हो या फिर रहो इलायची जैसी नरम तुम
पारले-G के संग हो या फिर रहो समोसे के संग तुम
तुम्हारी बस एक चुस्की हो या फिर रहो पूरा प्याला तुम
तुम्हारी तो हर घूँट प्यारी है, है प्यारा हर रूप-
वह कहती थी शीशे जैसी साफ़ हूँ मैं
सच कहती थी नादान थी वह
जो जैसा दिखता उसको वैसे ही देखती वह
मुखौटों के पीछे इंसान को नही पहचान पाती वह-
अच्छे वक़्त में वह तेरी वफ़ा को भी याद नही करेगा
पर बुरे वक़्त में वह तेरे से ही फरियाद करेगा-
कब ऐसा चाहा मैंने
की तू रह हर दुःख में साथ मेरे
बस इतना ही तो चाहा मैंने
तू रह हर खुशी में साथ मेरे-
गज़ब का देश है हमारा.......
यहाँ
बेरोजगारो के लिए रोजगार नहीं है
बेघरों के लिए घर नहीं है
बीमारी के लिए दवा नहीं है
पर पर पर.....
जब बात विधायकी की हो तो पैसों की कोई कमी नहीं है-
दिन का शुरुआत भी तुम्ही से था
दिन का अंत भी तुम्ही से था
परेशान होने के बाद सुकून भी तुम्ही से था-