Priyanka Xess   (प्रियंका खेस ✍)
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Joined 10 May 2021


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Joined 10 May 2021
9 OCT 2023 AT 8:20

पौ फट चुकी है
घड़ी पर सात बज चुके हैं
बाहर किवाड़ खोलते ही
मैंने देखा
एक लंबी दुधियाली चादर
जिसे ओढ़े सोई हुई धरा...
सामने बरगद के घोसलों से
खग दल चिहुंकते
खेतों पर से तीतर
पेड़ की टोह से झींगुर गाता...

लगता है जैसे शिशिर आ गया...

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14 SEP 2023 AT 17:34

सहर में लगा था
एक व्यापारिक मेला
जिसके एक कोने पर था
पुस्तकों का ठेला
जिस पर बिच्छी थी
एक से बढ़ कर एक किताब।
अजी रुको....!
हिंदी के नहीं
सारे अंग्रेजी किताब।।
मैंने पूछा
क्यों भाई साहब
हिंदी का कोई उपन्यास नहीं
उसने कहा
नहीं मैडम!
इसका कोई पाठक नहीं।


अतः आवश्यक यह है कि आप इसे
बोलचाल तक सीमित न रख कर इसे पढ़ें इसे जानें।
ताकि आप भी यह जान सकें कि हिंदी हमारी भाषा कितनी समृद्ध है।

हिंदी दिवस की शुभकामनाएं।🙏





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24 AUG 2023 AT 19:06

कोशिश करने वालों की
कभी हार नहीं होती
लहरों से डर कर नौका
पार नहीं होती.......
चांद जो कभी सपना था
आज वह अपना है......

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10 AUG 2023 AT 21:09

वह जंगल के हर एक
पत्ते को जानता है।
फूल पौधे लताओं
हर एक को वह पहचानता है।
खेतों के आड़ में छिपे
केकड़ों घोंघों
नहरों तालाबों में
मत्स्य, सेतुवे,
उन्मुक्त गगन में उड़ते
पंछियों,
धरती पर रेंगते
सांप,बिच्छू, केचुवों
हर किसी से वह वाकिफ...
इसलिए नहीं की वह जंगली है
वरन ,इसलिए कि
इस भूखंड से उसका संबंध आदि से है।
"और इसलिए वह आदिवासी है।।"

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24 JUL 2023 AT 22:16

वह पुरुष नहीं
जिसके लिए
उसका शरीर
बस आंखे सेकने की वस्तु हो।
अनुशीर्षक में.....

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16 JUN 2023 AT 16:12

कहते हैं,
"एकांत सबसे शोर और कोलाहल वाली जगह है।"
जहां एक भी आवाज़ को सुन पाना
असम्भव सा लगता है
पर जो सुन लिया तुमने, तो समझो
एकांत में भी सार्थकता है.......

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16 APR 2023 AT 12:01

वो रोज़ अधि नींद से जागते
हमारे लिए टिफिन बनाते
वही "रोटी और आलू की भूजी"
जिस से मेरी सहेलियां
बड़े अच्छे से परिचित हैं।
हमें स्कूल के लिए तयार करते
बालों में रिबन लगाते
जब स्कूल की छूटी होती
पापा,वहीं चौखट पर,
रोज़ बैठे हमारी राह देखते।
शाम को साईकिल पर
थोड़ी सैर करा लाते ।
शिक्षा दीक्षा में कभी उन्होंने
कोई कमी होने ना दी।
परवरिश में हमारी अधि
जिन्दगी बीता दी।
दोस्त यार सभी छूट गए
दुनिया हम में सिमट कर रह गई।।
जिन्होंने यह देखा है
वो आज भी कहते हैं
उनके जैसा पिता का मिलना नामुमकिन है।।

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14 NOV 2022 AT 22:00

छोटा बालक,
युवा,
बुजुर्ग या अधेड़ इंसान
इंसान उम्र में चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो जाए
उसे चाहिए प्यार और दुलार।।
घर न आने की भले हो वजह हजार
पर
वापस लौट कर आने की वजह ही है "प्यार"।।

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15 AUG 2022 AT 9:58

यूहीं लहराता रहे
हमारा यह ध्वज
इन तीन रंगों को समेटे
कि कोई मज़हब ना बांट सके,इन रंगों को
जाती धर्म और वर्ण में....

तिरंगे का रंग कह रहा है कि हम सब एक हैं।
स्वतंत्रता का ७५ वा वर्ष
और अमृत महोत्सव
आप सभी को ढ़ेरों शुभकामनाएं।

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1 MAY 2022 AT 8:43

१ मई श्रमिक दिवस

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