PRIYANKA SINGH   (Priyanka Singh)
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Joined 18 March 2018


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Joined 18 March 2018
27 JUN 2024 AT 20:15

तमाम साल बीते तब मैं एक से इक्कीस की हुई,

हुई तमाम हर साल तब इक्कीस से पच्चीस की हुई!

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31 JAN 2024 AT 23:03

काश कोई कमाल हो जाए,

खुद का खुद से विसाल हो जाए,

आंसू पोछे कईयों के मैंने,

अब बस खुद से प्यार हो जाए!

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30 JAN 2024 AT 20:57

जो कहा,जो भी किया जिसने,बात सारी दिल में रखी,


ना राखी आसान जिंदगी उनकी,ना ही अपनी राखी!

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27 JAN 2024 AT 19:23

क्या हम कभी खुद को फिर दुरुस्त कर पाएंगे,

जो बात हो दिल में,बात वो ही हम कह पाएंगे,

संवेदना को संवेदना से ना सुनता कोई,

क्या बात सारी दिल में लिए हम मर जाएंगे?!

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4 OCT 2023 AT 22:25

सोचती हूं मैं क्या-क्या सोचती हूं,

फिर सोचती हूं इतना क्यों सोचती हूं,

है कौन ये मेरे अंदर जो इतना सोचता है,

क्या है वह ईश्वर की आवाज,सोचती है?

मंजिल जो मिल गई उसके लिए सोचती हूं,

रास्ते जो छूट गए उनके लिए सोचती हूं ,

यह मेरे अंदर का इंसान क्यो इतना सोचता है,

किस मंजिल पर ये बेचैनी कम होगी,सोचती हूं!

क्या होगा पता नहीं,फिर भी, ये हो, वो सोचती हूं,

होगा जब लिखा हुआ ही,तो मैं क्यों इतना सोचती हूं?

कर्म हीं सबसे बड़ा धर्म है फिर मैं ये सोचती हूं,

होना ही होगा इस बेचैनी को कम , सोचती हूं!

ये जिंदगी है रणभूमि उठाना होगा तलवार सोचती हूं,

केवल सोचने से कुछ नहीं होगा ,ये भी सोचती हूं,

फिर हारने से डरता है,ये कौन मेरे अंदर,सोचती हूं,

हूं नहीं वो मैं,फिर से लडूंगी मैं,यह सोचती हूं!

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2 OCT 2023 AT 18:23

क्या हम सब खुद को अब कभी ठीक भी कर पायेंगें,


छुपी   है  जो  दिल  मे   हमारे  बात  वो  कह  पाएंगें,


कहां    कोई    सुनता   संवेदना    को  संवेदना    से,


क्या  सारी  ही  बात  दिल  मे  रखे  हम  मर  जाएंगें!

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1 APR 2023 AT 16:01

रोएंगे , तड़पेंगे , कुछ कहेंगे , फिर बिखरेंगे सो टूटेंगे,

शोर होगा , खामोशी होगी , टूटा फूटा खुद को जोड़ेंगे,

पर ये मत समझो तुम चाहिए हमको फिर से वापस कभी,

हम बस बुझने वाले दिए है, जो फड़फड़ा के बुझ जाएंगे!

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23 MAR 2023 AT 18:25

तप कर धूप में भी वह चमकना जानता है,

रास्ता तूफान में भी वह ढूंढना जानता है,

हारा तब वह जब रीढ़ की हड्डी ने साथ छोड़ा,

वरना खंजर दिल में उतारना भी वह जानता है!

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12 MAR 2023 AT 20:48

उम्मीद जब टूट जाती है , जिस्म से रूह छूट जाती है,

होता नहीं खुद पर भी भरोसा,दुनिया यह रूठ जाती है,

ऐसी व्याकुलता मानो अस्तित्व ही मिट गया हो जैसे,

क्या सच क्या झूठ के भाव सागर में नौका डूब जाती है!

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16 NOV 2022 AT 15:45

पथ पर है पग फिर भी पथ भ्रम तो होता है,

बाहर जो हंसता रहता भीतर वो रोता है,

चिंतन में मन उद्देश्य क्या है इस जीवन का,

बेमन फिर ये कर्तव्य पथ पर खुद को ढोता है!

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