आज थक कर पूछ ही लिया हमारे किरदार ने हमसे
और कितने मुखौटे लगाओगे एक ही जिंदगी जीने में l-
पहचान बस इतनी कि शिव भक्त हुँ।
शिव से शुरू और शिव पर ही ख़तम चाहत बस इतनी 😊😊
आज थक कर पूछ ही लिया हमारे किरदार ने हमसे
और कितने मुखौटे लगाओगे एक ही जिंदगी जीने में l-
व्यक्त्ति की निजी सोच और संवेदना
से खिलते जरूर है पर पानी और खाद
का काम करते है हमारे अपने l-
आज भी सफर में है जिंदगी
बस उम्र के सिवा कुछ भी
अब तक आगे नहीं बढ़ा
इधर एक मैं हूँ कि
वो ही ठहरे हुए ज़ज्बात है मेरे
और वो हैं कि अब तक अपनी
दहलीज से आगे नहीं बढ़ा l-
सत्यता को
प्यार सम्मान और परवाह वहाँ ही
नहीं मिलती जहाँ से सबसे ज्यादा
उम्मीद होती हैंI-
हर किरदार बेहद खूबसूरत है
बस अपने व्यवहार और वाणी द्वारा
उसे और निखारा जा सकता है।-
ये जो बिखरे हुए से लोग हैं
इनसे हमारी जिंदगी कितनी व्यवस्थित हैं।-